Justice Yashwant Varma Corruption Case: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के चीफ जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग और नकद बरामदगी के मामले में नया मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जस्टिस वर्मा के घर (Yashwant Verma house) के अंदर का वीडियो जारी किया है। वीडियो में जस्टिस वर्मा के घर के अंदर 4-5 बोरियों में जले हुए नोटों के बंडल दिखाई दे रहे हैं। तस्वीरों में 500-500 के नोटों की गड्डियां जले हुए साफ दिख रहे हैं। ये वीडियो मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) के आदेश पर जारी किया गया है। मामले से जुड़े दस्तावेज भी वेबसाइट पर डाले गए हैं।

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सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक कमेटी का गठन भी किया गया है। इसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिज जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं।

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साथ ही इस मामले से जुड़ी दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय की रिपोर्ट भी सार्वजनिक कर दी गई है। इसमें जस्टिस वर्मा का जवाब भी पब्लिक कर दिया गया है। वहीं मामले से जुड़े कागजात भी वेबसाइट पर डाल दिए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जिस कमरे में आग लगी थी वहां आग के काबू में आने के बाद, 4-5 अधजली बोरियां मिली हैं, जिनके अंदर भारतीय मुद्रा भरे होने के अवशेष मिले हैं।

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सुप्रीम कोर्ट का बयान

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है,  ‘सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने दिल्ली हाईकोर्ट के वर्तमान जज जस्टिस यशवंत वर्मा के विरुद्ध आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को फिलहाल जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने के लिए कहा गया है। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अपनी रिपोर्ट दी है।

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार देर रात एक बड़ा कदम उठाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी पाए जाने के मामले की पूरी आंतरिक जांच रिपोर्ट घटना से जुड़ी तस्वीरों और वीडियो के साथ अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी। रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि घर के स्टोर रूम में उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने कभी भी कोई नकदी नहीं रखी थी और वे इस बात का खंडन करते हैं कि कथित नकदी उनकी थी।

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दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय की जांच रिपोर्ट के अनुसार भारतीय मुद्रा की चार से पांच अधजली गड्डियां पाई गईं। 25 पन्नों की जांच रिपोर्ट में होली की रात जस्टिस वर्मा के आवास पर लगी आग को बुझाने से जुड़े अभियान के वीडियो और फोटोग्राफ भी शामिल हैं, जिसके दौरान नकदी बरामद हुई थी। न्यायमूर्ति उपाध्याय ने लिखा, रिपोर्ट की गई घटना, उपलब्ध सामग्री और जस्टिस यशवंत वर्मा के जवाब की जांच करने पर, मुझे जो पता चला, वह यह है कि पुलिस आयुक्त ने 16 मार्च की अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर तैनात गार्ड के अनुसार, 15 मार्च की सुबह जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से मलबा और आंशिक रूप से जली हुई अन्य वस्तुएं हटा दी गई थीं।

उन्होंने लिखा, मेरी जांच में प्रथम दृष्टया बंगले में रहने वाले लोगों, घरेलू सहायकों, माली और सीपीडब्ल्यूडी कर्मियों (यदि कोई हो) के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कमरे में प्रवेश करने या पहुंचने की संभावना सामने नहीं आई है। न्यायमूर्ति उपाध्याय ने 21 मार्च को तैयार रिपोर्ट में कहा, मेरी राय है कि पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता है. इस रिपोर्ट को शनिवार रात सार्वजनिक किया गया।

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कौन हैं जस्टिस वर्मा

दिल्ली हाईकोर्ट की वेबसाइट के अनुसार जस्टिस वर्मा आठ अगस्त 1992 को अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए थे। उन्हें 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था। 11 अक्टूबर, 2021 को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने से पहले उन्होंने एक फरवरी, 2016 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। संवैधानिक न्यायालयों के न्यायाधीशों के विरुद्ध आरोपों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आंतरिक जांच तंत्र मौजूद है।

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