Supreme Court On Flight Fare: बेलगाम फ्लाइट किराया पर सुप्रीम कोर्ट भड़क गया है। एयरलाइंस कंपनियों (airlines companies) की ओर से अपनी मर्जी से बेलगाम किराया तय करने पर भड़के शीर्ष न्यायालय ने नोटिस जारी किया है। साथ ही मामले की सुनवाई को तैयार हो गया है।
याचिकाकर्ता के वकील की दलील के बाद कोर्ट ने कहा कि मामला विचार करने योग्य है। इसके बाद कोर्ट ने याचिका पर केंद्र सरकार और DGCA के अलावा विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (AERA) को नोटिस जारी करते हुए सभी पक्षों से चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
दरअसल सामाजिक कार्यकर्ता एस. लक्ष्मीनारायणन ने एयरलाइंस कंपनियों की ओर से अपनी मर्जी से बेलगाम किराया तय करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि एयरलाइंस कंपनियां अपनी मर्जी से किराया तय कर रही हैं। एयरलाइंस कंपनियां कई अतिरिक्त शुल्क लगाती है। अक्सर किराया काफी महंगा होता है। लोगों को इसका कारण पता नहीं चल पाता। टिकट की कीमत को लेकर स्पष्ट नियम होने चाहिए।
याचिका पर जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने 17 नवंबर, 2025 को पहली सुनवाई की। याचिकाकर्ता की दलील के बाद बेंच ने केंद्र सरकार और DGCA के अलावा विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (AERA) को भी नोटिस जारी किया। साथ ही आगे भी सुनवाई को राजी हो गय़ा।
कोर्ट में लंबित याचिका के मुख्य बिंदु यह हैं:
- अपारदर्शी व्यवस्था – याचिका में दलील दी गई है कि एयरलाइंस अचानक किराया वृद्धि करते हैं। उनकी शिकायत निवारण व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। कंप्यूटर एल्गोरिथम के जरिए होने वाला मूल्य निर्धारण पूरी तरह अपारदर्शी है।
- अनिवार्य सेवा – कई बार हवाई यात्रा जीवन के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए जरूरी होती है। ऐसे में हवाई यात्रा अनिवार्य सेवा का दर्जा रखती है। दूसरी अनिवार्य सेवाओं की कीमत को नियंत्रित रखा जाता है, लेकिन एयर टिकट का मूल्य निर्धारण काफी हद तक अनियमित है।
- नियामक संस्था की कमी – याचिका में कहा गया है कि DGCA सुरक्षा और दूसरी व्यवस्थाओं को देखता है। वहीं, AERA सिर्फ हवाई अड्डे के शुल्क को नियंत्रित करता है। एयरलाइंस के किराये की निगरानी के लिए कोई संस्था नहीं है। ऐसे में एयरलाइंस मुश्किल परिस्थितियों या अधिक मांग के समय छिपे हुए शुल्क लगाना शुरू कर देती है. इससे कीमतों में अचानक बढ़ोतरी हो जाती है।
- बैगेज पर अधिक वसूली – याचिकाकर्ता ने कहा है कि निजी एयरलाइंस ने इकोनॉमी यात्रियों के लिए मुफ्त चेक-इन सामान को 25 किलोग्राम से घटाकर 15 किलोग्राम कर दिया है। यह भी यात्रियों से अधिक पैसे वसूलने का हथकंडा है। इस पर सरकार ने रोक नहीं लगाई।
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