Supreme Court Hearing On 2006 Mumbai Bomb Blast Case: 2006 मुंबई ट्रेन बम ब्लास्ट केस में बड़ी अपडेट सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई बम विस्फोट के 12 आरोपियों को बरी करने पर रोक लगा दी है। तीन दिन पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को रिहाई करने का आदेश दिया था। महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए देश के शीर्ष न्यायालय ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया है। इसके साथ ही 1 महीने के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
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इससे पहले अपने फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रॉसीक्यूशन यानी सरकारी वकील आरोपियों के खिलाफ केस साबित करने में नाकाम रहे। यह मानना मुश्किल है कि आरोपियों ने अपराध किया है। इस वजह से उन्हें बरी किया जाता है। अगर वे किसी दूसरे मामले में वॉन्टेड नहीं हैं, तो उन्हें तुरंत जेल से रिहा किया जाए। हाईकोर्ट के इस फैसले पर अब सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
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पूरे मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले को मिसाल के तौर पर नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी करने के बॉम्बे HC के फैसले पर रोक लगा दी है। इसके अलावा सभी 12 आरोपियों को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। महाराष्ट्र सरकार की अपील पर न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह की बेंच ने आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मैंने फाइल पढी है. कुछ आरोपी पाकिस्तानी नागरिक भी हैं।

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फैसले के दिन 2 आरोपी जेल से रिहा हुए थे
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद 21 जुलाई की शाम 12 में से दो आरोपियों को नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया था। पहले आरोपी एहतेशाम सिद्दीकी को 2015 में निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। वहीं, दूसरा आरोपी मोहम्मद अली उम्रकैद की सजा काट रहा था। एक अधिकारी ने बताया कि 12 लोगों में शामिल नवीद खान अभी नागपुर जेल में ही रहेगा, क्योंकि वह हत्या के प्रयास के एक मामले में विचाराधीन कैदी है।
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सीरियल ब्लास्ट में 189 लोग मारे गए थे
11 जुलाई 2006 को मुंबई के वेस्टर्न सब अर्बन ट्रेनों के सात कोचों में सिलसिलेवार धमाके हुए थे। इसमें 189 पैसेंजर की मौत हो गई थी और 824 लोग घायल हो गए थे। सभी धमाके फर्स्ट क्लास कोचों में हुए थे। घटना के 19 साल बाद यह फैसला आया है।
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