दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े और ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि एक राज्य में एससी-एसटी कोटे का फायदा उठाने वाला शख्स दूसरे राज्य में वही फायदा नहीं उठा सकता है. कोर्ट की संविधान पीठ ने इस ऐतिहासिक फैसले को सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नई दिल्ली में एससी-एसटी के लोगों को नौकरियों में आरक्षण केंद्रीय आरक्षण पालिसी के तहत मिलेगा. उसने कहा कि किसी एक राज्य के इस वर्ग के लोग दूसरे राज्य में भी नौकरी और शिक्षा समेत अन्य क्षेत्रों में आरक्षण का दावा नहीं कर सकते हैं.

पांच सदस्यीय संविधान पीठ के चार सदस्यों ने अपने फैसले में कहा कि यदि एक राज्य में आरक्षण का लाभ ले रहा व्यक्ति दूसरे राज्य में भी वही लाभ लेने की कोशिश करेगा तो उस राज्य के एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित कोटे पर फर्क पड़ेगा. इसलिए ये व्यवस्था दी जा रही है. खास बात ये है कि संविधान पीठ के एक सदस्य ने अपने चार साथी जजों के फैसले से असहमति जताई.

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि एससी-एसटी को आरक्षण औऱ अन्य सुविधाएं देने का अधिकार संसद को है, अगर राज्य अपने मन से मनमाने फैसले करने लगे तो अराजकता के हालात पैदा हो जाएंगे. कोर्ट ने केंद्रीय नौकरियों का जिक्र करते हुए कहा कि इन नौकरियों में एकसमान आरक्षण दिया जाता है भले ही व्यक्ति किसी भी राज्य का निवासी हो. माना जा रहा है सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में और सरगर्मी बढ़ेगी.