रायपुर. छत्तीसगढ़ के वासियों ये खबर आपके लिए बड़े काम की है. क्योंकि भगवान न करें कि कोरोनाकाल में आपको या परिवार के किसी सदस्य को कोरोना हो जाए तो आप इलाज के लिए राजधानी रायपुर के कोटा स्थित सुयश अस्पताल जाएंगे तो जरा ठहरिए.
वैसे कोरोना मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग से इन्हें अनुमति नहीं मिली है, लेकिन गंभीर मरीजों को कोरोना होने पर वे यहां इलाज कर सकते है. लेकिन ये जरूरी नहीं कि यहां के डॉक्टरों को ये पता हो कि कोरोना मरीजों का इलाज कैसे करना चाहिए ?
जब पूरी दुनिया और कम पढ़े लिखे लोगों को ये पता है कि कोरोना मरीज की लाश कैसे पैक कर के मुक्तिधाम तक ले जाई जानी है इस बीच इस अस्पताल के लापरवाह डॉक्टरों और स्टॉफ को ये नहीं पता है कि कोरोना मृतक की लाश को कैसे सौंपनी है.
हुआ कुछ यूं कि यहां से रविवार को एक कोरोना मृतक की लाश को नगर निगम के कर्मचारियों को सौंपी गई. लेकिन कर्मचारी जब लाश को लेकर मुक्तिधाम पहुंचे तो लाश को न तो पीपीई कीट पहनाकर पैक किया गया था और न ही उसे बैग में पैक किया गया था.
इतनी बड़ी लापरवाही होने के बाद हॉस्पिटल के एक डायरेक्टर मीडिया में ये बयान देते फिर रहे है कि स्वास्थ्य विभाग की कोई गाइडलाइन उन्हें नहीं मिली है जिसमें ये कहा गया हो कि उन्हें लाश कैसे देनी है.
डॉयरेक्टर साहब! मान गए आप डॉक्टर है, लेकिन अब अस्पताल की गलती पर पर्दा डाल कर आप अपनी डिग्री पर क्यों सवाल खड़े कर रहे है, जबकि कोरोना काल में तो अब बच्चे-बच्चे को ये पता चल गया है कि लाश का अंतिम संस्कार कैसे होना है और लाश कैसे सौंपी जानी है.
खौर अब तो अस्पताल को स्वास्थ्य विभाग का नोटिस भी मिल गया है, देखते है अपने बचाव में अब सुयश अस्पताल के डॉक्टर विभाग को लिखित रुप से क्या जवाब देते है. लेकिन आप यदि इस अस्पताल में इलाज कराने जा रहे हो तो जरा संभलकर, कही किसी प्रकार की अनहोनी होने के बाद यहां के ये डॉक्टर ये न कहें कि इस बीमारी का इलाज कैसे होना था, ये तो हमें स्वास्थ्य विभाग ने बताया ही नहीं.