Vasant Kunj SRISIIM Molestation Case: दिल्ली के वसंतकुंज स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट एंड रिसर्च (SRISIIM) संस्थान में पढ़ने वाली छात्राओं ने स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती (Swami Chaitanyananda Saraswati) पर यौन और मानसिक उत्पीड़न, देर रात बुलाने, धमकाने और गुप्त कैमरे लगाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। बाबा ने ऑफिस के ग्राउंड फ्लोर को टॉर्चर चेंबर बना रखा था। वायु सेना मुख्यालय के डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन के ग्रुप कैप्टन रैंक के अधिकारी ने पीठ को ईमेल भेजकर SRISIIM छात्रों की शिकायतें बताई थीं। शिकायत के बाद पुलिस ने नई FIR दर्ज की और 300 से अधिक पन्नों के सबूत जब्त किए है। 300 पन्नों के सबूत में स्वामी चैतन्यानंद के पापलोक का पूरा कच्चा चिट्ठा है।

 स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। चैतन्यानंद सरस्वती ने संस्थान के डीन और दो महिला स्टाफ के साथ मिलकर EWS स्कॉलरशिप पर पढ़ रही छात्राओं का यौन शोषण किया।

श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट एंड रिसर्च (SRISIIM) संस्थान.

पीड़ित छात्राओं के दस्तावेज जब्त कर लिए जाते थे ताकि वे आवाज न उठा सकें या संस्थान छोड़ न पाएं। हरिद्वार ले जाकर दरिंदगी का भी आरोप लगा था। जांचकर्ताओं ने बताया कि आरोपी अपनी नई लग्जरी कार खरीदने के बाद विशेष पूजा के बहाने कई छात्राओं को हरिद्वार ले गया था। उस पर लौटते समय छात्राओं के साथ यौन शोषण किए जाने के गंभीर आरोप लगे हैं। पुलिस ने बताया कि इस पूरे नेटवर्क में डीन और दो महिला स्टाफ की भी मिलीभगत सामने आई है। पीड़िताओं के बयान और सबूत जुटाने की कार्रवाई जारी है।

स्वामी चैतन्यानंद के खिलाफ 300 पन्नों का सबूत

छात्राओं ने आरोप लगाया कि स्वामी चैतन्यानंद मनमाने फैसले लेते थे, धमकाते थे और देर रात व्हाट्सऐप पर मैसेज करते थे।  2 अगस्त को पीठम की ओर से वायु सेना मुख्यालय को तत्काल जवाब भेजा गया जिसमें बताया गया कि आरोपी के खिलाफ FIR नंबर 320/2025 पहले ही दर्ज की जा चुकी है। इसके बाद 4–5 अगस्त को पीठम ने पुलिस को एक और शिकायत दी जिसमें उत्पीड़न और ज्यादती के नए सबूत सौंपे गए। बताया गया कि आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ 300 से अधिक पन्नों के सबूत पुलिस को सौंपे गए हैं। छात्रों के बयान दर्ज कर नई FIR दर्ज की गई हैं।

गौरतलब है कि 23 जुलाई को मठ की ओर से भी चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई थी। पीठ ने आरोपी स्वामी का पावर ऑफ अटॉर्नी रद्द करते हुए 11 सदस्यीय नई गवर्निंग काउंसिल भी गठित कर दी है।

लड़कियो ंको भेजते थे अश्लील मैसेज

FIR कॉपी में स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती की करतूतें दर्ज हैं। FIR के मुताबिक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की छात्राओं को देर रात स्वामी के क्वार्टर में बुलाया जाता था। लड़कियों के हॉस्टल में सुरक्षा के नाम पर गुप्त कैमरे लगाए गए थे। एक छात्रा का नाम उसकी इच्छा के विरुद्ध बदलने के लिए मजबूर किया गया। छात्राओं को विदेश यात्राओं और देर रात स्वामी के निजी कक्ष में बुलाने के लिए दबाव डाला जाता था। सहयोगी डीन श्वेता समेत कुछ स्टाफ सदस्य छात्राओं पर स्वामी के यौन आग्रह मानने के लिए दबाव डालते थे। विरोध करने वाली छात्राओं को निलंबन और निष्कासन की धमकियां दी जाती थीं।

बात नहीं मानने पर डिग्री रोकने की धमकी

FIR के मुताबिक, छात्राओं के माता-पिता को भी हस्तक्षेप करने से रोका जाता था। स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती और उनके सहयोगियों द्वारा महिला छात्राओं का यौन और मानसिक उत्पीड़न किया गया। व्हाट्सऐप और एसएमएस के माध्यम से अश्लील और आपत्तिजनक मैसेज भेजे जाते थे। इन कृत्यों का विरोध करने पर छात्राओं को डिग्री रोकने और दस्तावेज न देने की धमकियां दी जाती थीं।

स्कॉलरशिप टेस्ट से फ्री दाखिला

श्रीसीम वंसतकुंज के पूर्व संचालक स्वामी चैतन्यानंद स्वामी उर्फ ‘स्वामी जी’ का शातिर दिमाग कुछ इस तरह से सिस्टम के ताने-बाने बुनता था कि EWS परिवार की लड़कियां न चाह कर भी इस फंस जाती थी। असल में ‘स्वामी जी’ श्रीसीम वंसतकुंज में दाखिला के लिए एक ऑल इंडिया स्काॅलरशिप टेस्ट का आयोजन करता था। इसे पास करने वाली EWS कोटे की लड़कियों को फ्री दाखिला का सपना दिखाया जाता था। स्कॉलरशिप टेस्ट के लिए रजिस्ट्रेशन की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ऑनलाइन ही टेस्ट का आयोजन किया जाता और ऑनलाइन ही इंटरव्यू आयोजित किया जाता। सिलेक्शन के बाद लड़कियों को दाखिला की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए संस्थान में बुलाया जाता। यहीं से फ्री दाखिला के नाम पर ‘स्वामी जी’ के दिमाग में रचे गए खेल की शुरूआत होती।

फ्री दाखिला का वादा और डोनेशन के नाम पर फीस वसूली

श्रीसीम वंसतकुंज के पूर्व संचालक स्वामी चैतन्यानंद स्वामी उर्फ ‘स्वामी जी’ के शातिर दिमाग की चाल लड़कियों के दाखिला के बाद शुरू होती। दाखिला के लिए औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ‘स्वामी जी’ अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से फीस वसूली का खेल रचता। इसमें अभिभावकों को डोनेशन देने का कहा जाता। अभिभावकों से कहा जाता कि ये संस्थान डोनेशन पर संचालित हो रहा है। बच्चों से फीस नहीं वसूली जाती और हास्टल और मेस की सुविधा भी फ्री दी जाती है। ऐसे में कई EWS अभिभावकों से डोनेशन के नाम पर 60 से 1 लाख रुपये तक की वसूली की गई है।

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