Systematic Transfer Plan: बाजार की चाल हर दिन बदलती रहती है, जिससे तय होता है कि कोई निवेशक कितना पैसा कमाएगा. यानी रिटर्न की दिशा बाजार की चाल से तय होती है. सभी निवेशक ऐसी प्लानिंग करते हैं जिससे उन्हें ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिल सके. लेकिन बाज़ार हमारे हाथ में नहीं है, ऐसे कई कारक हैं जो इसकी गति को बढ़ाते या घटाते हैं.

उदाहरण के तौर पर अगर लोकसभा चुनाव आने वाले हैं तो उसे देखकर बाजार का मूड बदल जाएगा. इसलिए हम आपको उस तरीके के बारे में बताते हैं जिससे आप बाजार को देखकर अपना निवेश बदल सकते हैं. इसका मतलब है कि आप अपनी सुविधा के अनुसार जोखिम का प्रबंधन कर सकते हैं.

एसटीपी यानी सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (Systematic Transfer Plan)

आज हम आपको एसटीपी यानी सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान के बारे में बताएंगे. चूंकि इसके नाम में ही ट्रांसफर है तो आप कुछ अंदाजा लगा सकते हैं. दरअसल, एसआईपी में हम बैंक से अपना पैसा किसी एक म्यूचुअल फंड की इक्विटी या डेट में निवेश करते हैं. लेकिन एसटीपी में हम उस पैसे को दूसरे म्यूचुअल फंड में भी ट्रांसफर कर सकते हैं.

मान लीजिए कि आपने किसी म्यूचुअल फंड की इक्विटी में निवेश किया है, लेकिन बाजार की स्थिति को देखते हुए आप इसे बदलना चाहते हैं, तो आप अपनी योजना के अनुसार उस पैसे में से कुछ पैसे दूसरे म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. इसे एसटीपी कहा जाता है. आप दैनिक, साप्ताहिक या मासिक आधार पर पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं.

इसका उपयोग कब करना है (Systematic Transfer Plan)

अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि हमें इस योजना का लाभ कब लेना चाहिए? तो यह निवेशक का अपना निर्णय है. उसे अपनी प्रोफ़ाइल और उसके लक्ष्य किस प्रकार के हैं, यह देखकर ही इस योजना का उपयोग करना चाहिए. मान लीजिए कि आपकी उम्र 25 साल है और आपने किसी इक्विटी फंड में 15 लाख रुपये का निवेश किया है.

जहां जोखिम कम था लेकिन रिटर्न भी कम था, लेकिन इस रिटर्न से आपके लक्ष्य हासिल नहीं हो रहे हों तो आप इसमें से कुछ पैसा दूसरे फंडों में निवेश कर सकते हैं. जहां जोखिम और रिटर्न भी ज्यादा है. लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि एक साथ पैसे ट्रांसफर न करें क्योंकि इससे रिस्क मार्जिन बढ़ जाता है.