अनिल सक्सेना, रायसेन। कहते हैं मन में विश्वास और दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कोई भी जंग जीती जा सकती हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां एक दादी मां ने उम्र के अंतिम पड़ाव में कोरोना से जंग जीत कर मिसाल पेश की है. कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आते ही घबराने वाले लोगों को इस दादी से सीख लेनी चाहिए. कुछ भी हो जाए, परिस्थिति कितनी भी विषम हो जाए, न तो घबराना चाहिए और न ही धैर्य खोना चाहिए.
6 दिन आईसीयू और 3 दिन वार्ड में रहीं
यह उदाहरण रायसेन जिले के गैरतगंज की 82 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला प्रभा जैन की है. इन्होंने 10 दिन तक चली कोरोना से जंग को जीतकर लोगों को हौसला बनाए रखने की नई सीख दी हैं. कोरोना जांच के दौरान बीते 5 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद 8 अप्रैल को उन्हें इलाज के लिए सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. वह यहां 6 दिन आईसीयू वार्ड और फिर 3 दिनों तक जरनल वार्ड में भर्ती रहीं. इस दौरान उसने हिम्मत नहीं हारी और आज वह कोरोना को हराकर अपने घर वापस आ गई हैं.
डिप्रेशन में आकर इलाज के पहले ही हार मान लेते हैं लोग
ऐसे समय में जब लोग कोरोना के कारण डिप्रेशन में आकर इलाज के पहले ही हार मान लेते हैं ऐसे लोगों के लिए प्रभा जैन एक जीती जागती मिसाल हैं. प्रभा दादी बताती हैं कि कोई भी बीमारी आपके दृढ़ निश्चय को नहीं हरा सकती. इस बात को सभी को ध्यान में रखना चाहिए. कोरोना से हमें डरना नहीं है. इस महामारी से हमें लडऩा है. इसलिए उन्होंने सभी से निवेदन किया है कि इस महामारी में आप घबराए नहीं बल्कि हिम्मत से काम लें. उनके परिजनों ने भी यही कहा है कि जब हमारी 82 वर्षीय दादी कोरोना को हरा सकती है तो आम हम क्यों नहीं. इसलिए सकारात्मक सोचेंगे, तो जिंदगी की खुशियां जरूर वापस आएंगी.