यत्नेश सेन, देपालपुर। जनपद पंचायत कार्यालय परिसर में एडीप योजना के अंतर्गत जिला निःशक्त पुनर्वास केंद्र सामाजिक न्याय द्वारा दिव्यांगजनों के लिए चिन्हांकन शिविर लगाया गया। शिविर में दिव्यांग सिर्फ और सिर्फ परेशान होते नजर आए। ना तो उनके लिए चाय नाश्ते की व्यवस्था थी और ना ही उन्हें सुविधा मिल पाई। दिव्यांगों की मानें दूर दराज से पहुंचे और भूखे प्यासे अपने नम्बर का इंतजार करते रहे। हर बार की तरह इस बार भी चक्कर ही काटते रहे। सरकार दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन मैदानी हकीकत कुछ और बया करती है।

ग्राम पंचायत अत्याना के कुनगारा से आए एक युवक ने बताया कि वह और उनकी पत्नी दिव्यांग है। पत्नी बोल और सुन नहीं सकती जो कि 80 प्रतिशत दिव्यांग है और युवक चल नहीं सकता। आज तक भटक रहा हूं। उन्हें इलेक्ट्रिक व्हीकल या बैसाखी मिल जाती तो वह चल फिर कर परिवार का गुजर बसर कर सकते थे। उन्हें ट्राई साइकिल दे दी गई जो उनसे चलती नहीं और ना ही उन्हें इसकी जरूरत है। शिविर में कई ऐसे दिव्यांग मीडिया से मुखातिब हुए जिन्होंने कहा कि हम सिर्फ भटक रहे हैं बाकी किसी भी तरह से कोई लाभ नहीं मिल रहा है। पहले भी कई बार कैंपों में आ चुके लेकिन आज तक सुविधा नहीं मिली और अगर मिलती भी है तो उनकी जरूरत के हिसाब से नहीं।

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