अमित पांडेय, डोंगरगढ़। क्लास में किताब निकालने में चंद सेकंड की देरी हुई, और शिक्षिका ने गुस्से में इस कदर बेकाबू हुईं कि 13 साल के मासूम के कानमरोड़ कर कनपटियों पर जोरदार तमाचे जड़ दिए. घर लौटने पर मासूम ने इशारों से माता-पिता को बताया कि उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा है. अस्पताल पहुंचे परिजनों को डॉक्टर ने बताया कि यह बच्चे के कान की नसों पर जोरदार चोट का असर है. परिजनों की रिपोर्ट पर पुलिस ने शिक्षिकाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है.

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मामला डोंगरगढ़ के खालसा पब्लिक स्कूल का है. जहां सातवीं कक्षा के छात्र सार्थक सहारे के साथ हुई मारपीट की दास्तान जितनी दर्दनाक है, उतनी ही शर्मनाक भी. सार्थक से किताब निकालने में चंद सेकंड की देरी हुई, और शिक्षिका प्रियंका सिंह ने गुस्से में मासूम के कान मरोड़ दिए और कनपटियों पर जोरदार तमाचे जड़ दिए.

सार्थक घर लौटा तो भय और दर्द में डूबा हुआ था. वह बोल नहीं पा रहा था, बस इशारों में बता रहा था कि उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा. परिवार उसे लेकर अस्पताल-दर-अस्पताल भटकता रहा. ENT विशेषज्ञों की हर रिपोर्ट ने एक ही सच्चाई सामने रखी—बच्चे के कान की नसों पर जोरदार चोट है और यह स्पष्ट रूप से थप्पड़ों का परिणाम है.

बच्चे की हालत गंभीर होने के बावजूद खालसा स्कूल प्रबंधन पूरे मामले को दबाने की कोशिश में जुट गया. परिजनों का आरोप है कि स्कूल ने FIR न करने के लिए दबाव बनाया, इलाज का खर्च उठाने का वादा किया, और बाद में अपना वादा भी तोड़ दिया. बच्चे का दर्द बढ़ता रहा और स्कूल का मौन गहरा होता गया.

आखिरकार जब परिवार ने हिम्मत जुटाकर पुलिस में शिकायत की, तब असल जांच शुरू हुई. डोंगरगढ़ SDOP आशीष कुंजाम ने बताया कि जुलाई की घटना पर डॉक्टरों की कमेटी की रिपोर्ट स्पष्ट रूप से बच्चे की चोट को मारपीट से जोड़ती है. इसी आधार पर शिक्षिका प्रियंका सिंह और नम्रता साहू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है.

अब डोंगरगढ़ में चर्चा इस बात की है कि बच्चा कब तक न्याय पाएगा. क्या स्कूल प्रबंधन पीड़ित परिवार को मुआवजा देगा? और आरोपी शिक्षिकाएं कब तक कानून के शिकंजे में आएंगी? खालसा स्कूल की यह घटना सिर्फ एक केस नहीं यह चेतावनी है कि अनुशासन के नाम पर हिंसा कितनी गहरी चोट दे सकती है. इस घटना की चोट कान पर थी, लेकिन इसका असर मासूम की पूरी जिंदगी पर पड़ेगा.