कांकेर। आदिवासी बहुल कांकेर जिले में बच्चों के मध्यान्ह भोजन में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. यहां स्कूल के शिक्षकों ने कागजों में ही खाना पकाकर बच्चों को खिला दिया. यही नहीं शिक्षक भी ऐसे कि खुद को रजिस्टर में उपस्थित दर्शा कर स्कूल से नदारद रहते हैं.
मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब तहसीलदार टीपी साहू कोकड़ी गांव के सामुदायिक भवन का निरीक्षण करने पहुंचे. उसके बाद उन्होंने स्कूल में दबिश दी। शिक्षकों से पूछताछ करने पर मालूम हुआ कि हेड मास्टर साहब खुद का पेट भरने (भोजन करने) घर चले गए हैं। इस बात की तस्दीक करने के लिए तहसीलदार दोपहर एक बजे से 2.50 बजे तक गुरूजी का इंतजार करते रहे, लेकिन गुरूजी आए ही नहीं।
मामला यहीं खत्म नहीं हुआ, तहसीलदार ने मध्यान्ह भोजन बनाने के संबंध में जानकारी ली तो हैरान करने वाला खुलासा हुआ। कागजों में मिडडे मील बना कर बच्चों का निवाला शिक्षकों ने हजम कर लिया था। तहसीलदार को समझते देर नहीं लगी कि इस स्कूल में कैसे गड़बड़ी का खेल किया जा रहा है। उन्होंने किचन का जायजा लिया, ठंडा पड़ा चूल्हा कभी जलाया ही नहीं गया था और प्रधान पाठक को बचाने के लिए गुरूजी झूठ पर झूठ बोले जा रहें थे।
गुस्साए तहसीलदार ने शिक्षकों की जमकर क्लास ली, और पंचनामा कार्रवाई के बाद मध्यान्ह भोजन रजिस्टर को जब्त कर लिया। और वहां मौजूद शिक्षकों के बयान भी दर्ज किया। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन बनाने की जिम्मेदारी स्वसहायता समूह की है, समूह को संचालित करने वाली महिलाओं ने भी प्रधान पाठक का साथ दिया। इसलिए उनपर भी कार्रवाई करने की बात कही जा रही हैं।
माध्यमिक विद्यालय में कुल 30 बच्चों की दर्ज संख्या हैं। इनके बेहतर शिक्षा के लिए 4 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। लेकिन गुरूजी हैं कि मासूम बच्चों का निवाला छीन रहें हैं और खुद भी स्कूल से नदारद पाये गए हैं। इधर, शिक्षकों की करतूत उजागर होने के बाद नाराज अभिभावकों में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा कि शासन की योजनाओं पर पलिता लगाने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिये ताकि स्कूलों में भष्टाचार पर रोक लगें।