नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों की ग्रांट रिलीज कराने की मांग दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से की गई है. दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों में से कई कॉलेजों में दो महीने से ग्रांट रिलीज नहीं की है. इससे शिक्षकों और कर्मचारियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षक संगठनों ने दिल्ली सरकार से कहा है कि उनके इन कॉलेजों को दीपावली से पहले ग्रांट रिलीज की जाए, ताकि शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारी त्योहार मना सकें.

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दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) और दिल्ली नॉन टीचिंग स्टाफ एसोसिएशन ने इस विषय पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को लिखा है कि दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में से कुछ कॉलेजों में दो महीने से शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन समय पर न मिलने से उनके सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया है. वहीं दूसरी ओर कोविड-19 के चलते शिक्षक कर्मचारी पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. जो ग्रांट इन्हें मिलती है, उसमें शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का ही भुगतान हो पाता है, बाकी शिक्षकों की पेंशन, मेडिकल बिल, सातवें वेतन आयोग के एरियर आदि के बिल पेंडिंग हैं.

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दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. हंसराज सुमन ने कहा है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों को दिल्ली सरकार की ओर से जो ग्रांट दी जा रही है, उसमें मात्र शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का भुगतान बमुश्किल हो पाता है. इन कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स, कन्ट्रक्चुअल कर्मचारी भी हैं, जिन्हें 12 से 15 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं, लेकिन पिछले दो महीने से कुछ कॉलेजों में सैलरी नहीं मिली है. दिल्ली जैसे महानगर और दूसरी तरफ कोविड-19 जैसी बीमारी में भी ये कर्मचारी बिना वेतन कार्य कर रहे हैं.

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दिल्ली नॉन टीचिंग स्टाफ एसोसिएशन के अध्यक्ष केदारनाथ ने भी कर्मचारियों के पदों को प्रिंसिपलों द्वारा न भरने पर चिंता जताई. उन्होंने बताया कि यूजीसी इन पदों को भरने के कई बार निर्देश जारी कर चुकी है, लेकिन गवर्निंग बॉडी के न रहने पर नियुक्ति नहीं हो सकी, उन्होंने इन पदों को जल्द स्थायी भरने की मांग की. साथ ही उन्होंने यूजीसी द्वारा दिए गए ओबीसी कोटे के सेकेंड ट्रांच के पदों को भरने की मांग की.