कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। देशभर में मध्य प्रदेश के ग्वालियर के नाम की किरकिरी कराने वाली चेतकपुरी सड़क धसकने मामले में तकनीकी जांच पूरी हो गई है। कलेक्टर के आदेश पर हुई तकनीकी जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। ठेकेदार को 07 लेयर में काम करना था, लेकिन सड़क एक साथ बनाई गई। इस दौरान मटेरियल फिलिंग सही नहीं की गई। साथ ही डामर भी कम लगाया गया। ऐसे में अब आगे की कार्यवाही के लिए रिपोर्ट को नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त के पास भेजा जा रहा है ताकि जरूरी कार्रवाई की जा सके।

ग्वालियर की नवनिर्मित चेतकपुरी रोड निर्माण में हुए भ्रष्टाचार पर अब मुहर लग गई है। ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान की बनाई गई तकनीकी जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सड़क निर्माण के दौरान शुरू से लेकर आखिरी तक ठेकेदार कंपनी की मनमानी चलती रही।

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ठेकेदार को 07 लेयर में सड़क निर्माण का काम करना था, लेकिन हर स्तर पर ठेकेदार ने सड़क को इतना कमजोर बनाया कि बारिश के दौरान उसके धसकने का सिलसिला जो शुरू हुआ वह अभी तक जारी है। जांच कमेटी के सदस्यों ने यह भी जानकारी रिपोर्ट में दी है कि चेतकपुरी सड़क ट्रैफिक लोड की तुलना में काफी कमजोर है। इस अर्थ वर्क के साथ फिर से नहीं बनाया गया तो यह आगे भी इसी तरह धसकती रहेगी।

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आइये कंपनी ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारियों की उन लापरवाही को बताते है जो आज इस सड़क को खोखला कर रही है।

  • कंपनी ने पाइपलाइन डालने के बाद एक साथ खुदे भाग की फिलिंग कर दी।
  • सड़क निर्माण के दौरान वाइब्रेटर रोलिंग की जगह साधारण रोलर चलाया गया।
  • पाइप के आसपास और ऊपर की गई फिलिंग लूज रही।
  • कंपनी ने कहीं 2.5 तो कहीं 3 सेंटीमीटर की डामर लेयर डालकर डामरीकरण किया।
  • सड़क का ऊपरी भाग बहुत कमजोर रखा।
  • कमजोर बेस की जानकारी होने के बावजूद भी काम जारी रखा और निगम को दिखावे के लिए पत्र लिखें।
  • जिम्मेदार अधिकारी ठेकेदार कंपनी की मनमानी को देखते हुए भी काम को ओके करने के साथ भुगतान करते रहे।

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बहरहाल अधिकारियों और ठेकेदारों की मिली भगत का नतीजा यह रहा कि करोड़ों रुपये की लागत से तैयार हुई यह सड़क कुछ महीने भी नहीं चल सकी और पहले ही बारिश में दम तोड़ दिया। ऐसे में अब इस सड़क की मेजरमेंट बुक को भी जांच में शामिल किया गया है, जिससे यह पता चल सके कि अधिकारियों ने निर्धारित मानकों को किस प्रकार दर्ज किया था।

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