पटना। बिहार विधानसभा 2025 में आए परिणाम को देखकर राष्ट्रीय जनता दल ने कभी खुद नहीं सोचा होगा कि इस बार जनता उनको केवल गिने चुने जगहों पर ही वोट देगी। 25 सीटों पर जीत हासिल करने वाली पार्टी अब हार के कारणों को खोजने में जुट गई है। राजद ये जानने में लगी हुई है कि गलतियां कहां हुई और किस कारण से इस बार करारी हार का सामना करना पड़ा। राजद नेता तेजस्वी यादव अब खुद मैदान में उतरकर उस दर्द को समझने की कोशिश करने में जुट गए है।

क्यों और किसने पार्टी को पीछे धकेला

आज 26 नवंबर से 30 नवंबर तक पटना स्थित पार्टी कार्यालय में उन 119 सीटों की विस्तृत समीक्षा शुरू होगी, जहां राजद को हार का सामना करना पड़ा। तेजस्वी यादव हर प्रत्याशी, जिलाध्यक्ष और प्रधान महासचिव से वन-टू-वन बातचीत करेंगे। इन बैठकों में वे सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि बूथों पर काम करने वाले लोगों की भावनाएं, स्थानीय नाराजगियां, सामाजिक समीकरणों का बदलता रुझान और सहयोगी दलों के प्रदर्शन की हकीकत जानने की कोशिश करेंगे। सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी ने प्रत्याशियों से भितरघातियों की सूचियां पहले ही मंगवा ली थीं, और अब वे यह समझना चाहते हैं कि चूक संगठनात्मक थी, रणनीतिक, या फिर स्थानीय समन्वय की कमी ने पार्टी को पीछे धकेला।

कठोर फैसले तय माने जा रहे

समीक्षा दो चरणों में होगी पहला 26 से 30 नवंबर तक, जबकि दूसरा चरण विधानमंडल सत्र के बाद 6 से 9 दिसंबर तक चलेगा। यह भी बताया जा रहा है कि इन बैठकों के बाद संगठन में बड़े बदलाव और कठोर फैसले तय माने जा रहे हैं।

आज यहां के लोग मिलेंगे तेजस्वी यादव से

पहले दिन मगध प्रमंडल के प्रत्याशियों को बुलाया गया। चुनाव परिणाम के बाद मीडिया से दूरी बनाए हुए तेजस्वी अब सीधे अपने लोगों से सुनना चाहते हैं कि हार की असली कहानी क्या है कागजों में लिखी हुई, या उन चेहरों में जो उम्मीद लेकर चुनाव मैदान में उतरे थे।