Tejashwi Yadav Attack Mohan Bhagwat: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के राम मंदिर के बाद आज़ादी मिलने वाले बयान पर राजद नेता तेजस्वी यादव प्रतिक्रिया दी है. आज बुधवार को जहानाबाद में मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा कि, मोहन भागवत देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों का अपमान और अनादर कर रहे हैं.

तेजस्वी ने कहा कि, वह गांधी जी, शहीद भगत सिंह, बाबा कुंवर सिंह और लक्ष्मीबाई जैसे कई अन्य नेताओं का अपमान कर रहे हैं, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, कारावास सहे और ब्रिटिश दमन का सामना किया.

‘अंग्रेजों का दलाल और मुखबिर रहा 𝐑𝐒𝐒’

बता दें कि इससे पहले तेजस्वी ने एक्स पर पोस्ट के माध्यम से 𝐑𝐒𝐒 प्रमुख मोहन भागवत पर हमला बोलते हुए कुछ सवाल पूछे थे. तेजस्वी ने पोस्ट करते हुए लिखा था कि, 𝐑𝐒𝐒 प्रमुख मोहन भागवत का अब बस यही कहना बाक़ी रह गया कि दलितों-पिछड़ों का आरक्षण खत्म होगा तभी देश को असल मायनों में आजादी मिलेगी.

उनके इस कथन से कि देश को असल स्वतंत्रता 𝟐𝟎𝟐𝟒 में ही मिली है. 𝐑𝐒𝐒 प्रमुख ने आज़ादी के करोड़ों मतवालों, दीवाने देशभक्तों, असंख्य शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों का घोर अपमान किया है. संघ के लोगों का स्वतंत्रता संग्राम में अपना कोई योगदान नहीं था, इसलिए ये अब बाकियों के योगदान को खत्म करने के नए प्रपंच रच रहे हैं. इनका संगठन तो स्वयं अंग्रेजों का दलाल और मुख़बिर रहा है.

तेजस्वी ने पोस्ट में आगे लिखा कि, दलितों-पिछड़ों, मेहनतकश एवं कृषक वर्गों के ऐतिहासिक योगदान को कमतर करना ही 𝐑𝐒𝐒 का हमेशा से उद्देश्य रहा है. मोहन भागवत, देश गुलामी की तरफ़ अग्रसर है क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपया सर्वकालिक निम्नस्तर पर है, उस पर ध्यान दिजीए.

प्रतिपक्ष ने भागवत से पूछे कुछ सवाल

𝟏. देश के बहुसंख्यक दलितों-पिछड़ों को असल आजादी कब मिलेगी?
𝟐. दलित-पिछड़ा से घृणा करने वाले 𝟏𝟎𝟎 वर्ष पुराने संगठन 𝐑𝐒𝐒 के कर्ता-धर्ता बताए कि आज तक कोई दलित पिछड़ा 𝐑𝐒𝐒 का प्रमुख क्यों नहीं बना?
𝟑. महिला 𝐑𝐒𝐒 प्रमुख क्यों नहीं बनी?
𝟒. जातिगत जनगणना कब होगी?
𝟓. दलितों-पिछड़ों का आरक्षण उनकी आबादी के अनुपात में कब बढ़ेगा?

भागवत के इस बयान पर मचा है बवाल

बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान को लेकर अब विवाद हो रहा है. बीते सोमवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा था कि, अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाई जानी चाहिए. क्योंकि सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश को सच्ची स्वतंत्रता इसी दिन मिली थी.

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