रायपुर. टेक्नोलॉजी के इस युग में आज हर व्यक्ति के पास ड्यूअल सिम वाला मोबाइल मौजूद है. औसत हर महीने हर व्यक्ति 500 से 1 हजार रुपए तक का रिचार्ज करना अनिवार्य रुप से करवाता ही है. लेकिन आप ने टेलीकॉम कंपनियों की एक चाल को समझे, तमाम टेलीकॉम कंपनियों ने अपने ग्राहकों के साथ गणित का ऐसा खेल खेला कि उन्होंने 28 दिन का एक महीने और 13 महीने का एक साल बना दिया.
इस खेल को समझने के लिए आपको थोड़ा पीछे जाना होगा. याद करें वो दिन जब आपने नया-नया मोबाइल लिया होगा तो कंपनियां लाईफ टाइम इनकमिंग कॉल के लिए एक निश्चित राशि का रिचार्ज करवाती थी. आप-हम सबने वो रिचार्ज करवाया ही होगा, वो इसलिए क्योंकि फोन में आउटगोइंग चालू न हो तो कम से कम फोन तो आए. उस जमाने में 30 दिन का महीना टेलीकॉम कंपनी मानती थी और आपको महीने में एक बार रिचार्ज करना पड़ता था. लेकिन न जाने अचानक वो लाईफ टाइम रिचार्ज का ऑफर कहा गुम हो गया और आज मोबाइल धारक यदि हर महीने एक निश्चित राशि का रिचार्ज नहीं करवाता तो उसके मोबाइल की इनकमिंग सेवाएं बंद कर दी जाती है.
इतना रिलायंस जैसी बड़ी कंपनी जिसके प्रदेश समेत पूरे देश में लाखों उपभोक्ता थे, वो कंपनी रातो-रात अपना बोरिया बिस्तर बांध लेती है और इससे उन उपभोक्ताओं को चपत लगती है जिन्होंने अपने उस मोबाइल में लाइफ टाइम का रिचार्ज करवाया होता है. खैर..
लेकिन कंपनियों ने बड़ी चालाकी से 30 दिन में महीने के बजाए 28 दिन का रिचार्ज लांच किया. अब आप कंपनियों के इस गणित को आसानी से समझिए कि कंपनियों ने कैसे 13 महीने का एक साल बनाया.
आप अपने मोबाइल में हर 28 दिन में रिचार्ज करवाते होंगे. आप तो महज यही सोचते होंगे कि एक महीने में 2 ही दिन तो कम है. लेकिन जनाब ये केवल दो दिन नहीं बल्कि साल के 24 दिन होते है. अब जरा हिसाब लगाइये कि साल में 365 दिन यदि आपको मोबाइल चलाना है तो इसके लिए आपको साल में 13 बार रिचार्ज करवाना पड़ेगा. यानी टेलीकॉम कंपनियों के 28 दिन के महीने के मुताबिक यदि आप साल में 13 बार रिचार्ज करवाते है तो कुल 364 दिन होते है.
इसका मतलब ये की टेलीकॉम कंपनियों ने आपकी जेब में डाका डालते हुए आपको गुमराह करने के लिए बड़ी चालाकी से 1 महीने के रिचार्ज के बजाए उसे 28 दिन का रिचार्ज कर दिया और साल में आपको 12 महीने रिचार्ज कराने के बजाए 13 बार रिचार्ज करवाना पड़ रहा है.