नई दिल्ली . राजधानी दिल्ली के लोग शुक्रवार को गर्मी और उमस से बेहाल रहे. दिल्ली की मानक वेधशाला सफदरजंग में अधिकतम पारा सामान्य से पांच डिग्री ज्यादा रहा. कुछ इलाकों में पारा 40 से पार चला गया. मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले तीन दिनों तक लोगों को ऐसी ही गर्मी और उमस का सामना करना पड़ेगा. उधर, गर्मी के कारण राजधानी में बिजली की मांग भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई.

दिल्ली के ज्यादातर हिस्सों में शुक्रवार की सुबह से ही तेज चमकदार सूरज निकला रहा. दिन चढ़ने के साथ ही धूप भी तीखी और तेज हो गई. इससे तापमान में तेजी से इजाफा हुआ. वहीं, पिछले दिनों हुई बारिश के चलते वातावरण में खासी नमी मौजूद है. गर्मी और नमी का मेल होने के चलते लोगों को उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ा. दिन के ज्यादातर समय लोग पसीना पोंछते नजर आए. सफदरजंग मौसम केन्द्र में दिन का अधिकतम तापमान 39.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया जो कि सामान्य से पांच डिग्री ज्यादा है. यहां पर न्यूनतम तापमान 29.5 डिग्री सेल्सियस रहा. यह सामान्य से दो डिग्री ज्यादा है. सफदरजंग में नमी का स्तर 82 से 55 फीसदी तक रही.

बूंदाबांदी भी हुई दिल्ली के कुछ हिस्सों में अधिकतम पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है. मौसम विभाग के दिल्ली विश्वविद्यालय केन्द्र में अधिकतम तापमान 40.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जबकि नजफगढ़ केन्द्र में भी अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस रहा. दिल्ली के मुंगेशपुर इलाके में दिन के समय 21.5 मिलीमीटर बारिश भी दर्ज की गई.

पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय नहीं मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले तीन दिनों के दौरान दिल्ली में गर्मी और उमस बनी रहेगी. दरअसल, मानसून रेखा अभी दिल्ली-एनसीआर से थोड़ा दूर खिसक गई है. इस बीच कोई पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय नहीं हुआ है. इसके चलते दिल्ली-एनसीआर में अभी अच्छी बारिश की संभावना कम है.

दिल्ली में उमस भरी गर्मी में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. शुक्रवार को दिल्ली में बिजली की मांग 7398 मेगावाट तक पहुंच गई है जो कि इस सीजन में अब तक की सबसे अधिक मांग है.

बिजली कंपनियों का कहना है कि बीते कुछ दिनों से लगातार बिजली की मांग बढ़ रही है. गुरुवार को भी बिजली की मांग 7100 मेगावाट को पार कर गई थी. शुक्रवार दोपहर 3 बजकर 10 मिनट पर इस मौसम की सबसे अधिक बिजली की मांग रही. हालांकि, मांग बढ़ने के बाद भी बिजली कटौती की सूचना नहीं है, क्योंकि बिजली मांग का आकलन पहले ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए किया जा रहा है, जहां भी बिजली की कटौती हुई भी वहां किसी न किसी खराबी के कारण हुई .