किसान अक्सर अच्छी उपज नहीं होने पर निराश हो जाते हैं. लेकिन, पारंपरिक खेती के साथ-साथ बागवानी (Horticulture) करें तो उन्हें अच्छी आमदनी हो सकती है. इसमें बेर की बागवानी (Plum farming) सबसे अच्छा विकल्प है.
आजकल बाज़ार में बेर की कई वैरायटी उपलब्ध है, जिनमें थाई एप्पल बेर और कश्मीरी बेर की मांग सबसे ज़्यादा है. बेर की ये किस्में दिखने में कच्चे सेब जैसी होती हैं जो स्वाद में खट्टे-मीठे होते हैं. इसे ‘किसान का सेब’ भी कहते है. इसमें कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिसके कारण बाजार में इसकी भारी मांग है. यही कारण है कि छोटे किसान, जिनके पास छोटे खेत हैं, वे भी अच्छी आमदनी के लिए थाई एप्पल और कश्मीरी बेर की खेती कर रहे हैं. (आप भी खेती किसानी से जुड़ा कोई लेख भेजना चाहते है तो लल्लूराम डॉट कॉम से 9329111133 पर जरूर संपर्क करें)
जाने थाई एप्पल बेर के बगीचे लगाने का सही तरीका
थाई एप्पल बेर जैनेटिक बायो प्लान्ट सिस्टम द्वारा तैयार किया गया है, जिसका फल सेब जैसा नजर आता है और खाने मे बेर जैसा स्वाद होता है. भारत मे इसे थाईलैण्ड से लगभग 10 साल पहले ही लाया गया है. यह फल प्रमुख रूप से उच्च व्यवसायिक बाजार मूल्य वाला होता है, जिसका बाजार में अधिक पैसा मिलता है. यह फल चमकदार और सामान्य बेर की अपेक्षा काफी बड़े होते है. थाई एप्पल बेर के एक फल का वजन 40 ग्राम से लेकर 120 ग्राम तक होता है. थाई एप्पल बेर में रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी ही होती है जितनी कि एक सेब फल की होती है. बाजार में इसका दाम अधिक होने के कारण कम लोग ही इसे खरीदते हैं.
इसकी खेती करने में कम देखभाल व कम लागत मे अधिक उत्पादन होने के कारण इसकी मांग बढ़ रही है. फल बड़े आकार के होने के कारण तुड़ाई करने में आसानी रहती है और समय एवं खर्चे की भी बचत होती है. यदि एप्पल बेर के पौधे को खेत में एक बार लगा दिया जाए तो हर साल उत्पादन लिया जा सकता है.
थाई एप्पल (बेर) की बागवानी
ये एक मौसमी फल है, जो थाईलैंड की किस्म है. यह भारत की जलवायु के लिए काफी अनुकूल है. वैसे यह फल भारतीय बेर से कुछ बड़ा होता है. बेर की थाई और कश्मीरी किस्में आने के कारण किसानों का रुझान इस ओर बढ़ रहा है. भारत में इसकी खेती जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक खूब हो रही है. यह अब तक का सबसे तेजी से बढ़ने वाला पौधा है. इसके एक पेड़ से प्रतिवर्ष 40-50 किलो फल का उत्पादन हो जाता है.
थाई एप्पल बेर के लिए मिट्टी (Soil for Thai Apple Ber)
बेर की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जीवांश की मात्रा अधिक हो वह सर्वोतम रहती है. हालांकि हल्की क्षारीय और लवणीय भूमि में भी इसके पेड़ लग जाते हैं. इसमं कम पानी और सूखे से लड़ने की विशेष क्षमता होती है.
- पहला- जुलाई और अगस्त के महीने में
- दूसरा- फरवरी और मार्च के महीने में
खेत की तैयारी
- बेर की बागवानी से पहले खेत की अच्छे से सफाई करें, पुरानी फसलों के अवशेष नष्ट कर दें
- मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करके खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें
- खेत में गोबर की खाद डालकर मिट्टी में मिला लें
- रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें
- पौध से पौध की दूरी कम से कम 12 फीट रखें
- गड्ढों की खुदाई 3×3 फीट करें
- खोदे गए गड्ढे में 50 से 60 किलो गोबर की खाद भर दें
- खाद को भरने के 20 से 25 दिनों बाद पौधारोपण कर दें
पौधरोपण एवं उर्वरक (Plantation and Fertilizer)
थाई एप्पल की खेती के लिए 0 से 50 डिग्री से. तक तापमान की आवश्यकता होती है. थाई एप्पल पौधे की उंचाई लगभग 7 से 15 फीट तक होती है. बगीचे में हाईब्रिड थाईएप्पल बेर के पौधे लगाते समय पौधे से पौधे की दूरी लगभग 12 से 15 फीट रखी जानी चाहिए. इस प्रकार एक बीघा में 80 पौधे लग जाते हैं. मिश्रित खेती के रूप में बेर के पौधों की कतारों के बीच में बैंगन, मिर्च, मटर, मूंग एवं मोठ आदि फसलों को उगा सकते हैं.
लागत और कमाई
बेर की बागवानी की शुरुआत में लागत अधिक लगती है, लेकिन बागान लगाने के एक साल बाद लागत कम हो जाती है. एक साल बाद इससे फलों का उत्पादन शुरू हो जाता है. थाई एप्पल का पेड़ एक बार लगाने के बाद 20 सालों तक फल देता है. शुरुआत में एक पेड़ से 30 से 40 किलो तक उत्पादन मिलता है, जो आगे चलकर 100 किलो तक पहुंच जाता है.
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