Thailand Visa free Entry: थाईलैंड ने भारतीय नागरिकों के लिए अपनी वीजा-मुक्त प्रवेश नीति को अनिश्चित काल के लिए बढ़ाने की घोषणा की है. यह योजना 11 नवंबर, 2024 को समाप्त होने वाली थी. इस नीति के तहत भारतीय आगंतुक थाईलैंड में 30 दिनों तक वीजा-मुक्त रह सकते हैं.
Thailand Visa free Entry: प्रवेश प्रक्रिया को सरल बनाने से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलता है
वीजा-मुक्त प्रवेश यात्रियों के लिए प्रवेश प्रक्रिया को सरल बनाता है, जिससे उस देश में यात्रियों की संख्या बढ़ती है. यात्रियों की संख्या में वृद्धि से पर्यटन से जुड़ी सेवाओं जैसे भोजन, पर्यटन और स्थानीय परिवहन की मांग बढ़ती है. इससे अर्थव्यवस्था को ऊर्जा मिलती है और मजबूती मिलती है.
भारतीय यात्रियों के लिए पिछले साल शुरू हुआ था वीजा-मुक्त प्रवेश
थाईलैंड ने अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए 10 नवंबर, 2023 को भारत के लिए वीजा-मुक्त प्रवेश की घोषणा की थी. थाई सरकार के प्रवक्ता चाई वाचरोंके ने कहा था कि इस योजना से 14 लाख अतिरिक्त पर्यटकों के आकर्षित होने की उम्मीद है. इससे 1.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 12 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा.
पहले भारतीयों के लिए वीजा ऑन अराइवल की सुविधा थी
पहले भारतीय पर्यटकों को इमिग्रेशन चेकपॉइंट पर 15 दिन के वीजा ऑन अराइवल के लिए आवेदन करना पड़ता था. वहीं, भारत से पहले सितंबर 2023 में उसने भी चीनी नागरिकों के लिए वीजा फ्री एंट्री की घोषणा की थी.
2019 में सबसे ज्यादा लोग चीन से थाईलैंड आए. थाईलैंड के रिकॉर्ड 3.9 करोड़ लोगों में से 1.1 करोड़ लोग चीन से आए.
Thailand Visa free Entry: थाईलैंड के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन का योगदान 20% है
थाईलैंड का पर्यटन क्षेत्र उसके कुल सकल घरेलू उत्पाद में करीब 20% का योगदान देता है, लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद से यह उबरने के लिए संघर्ष कर रहा है. इसी तरह श्रीलंका का पर्यटन क्षेत्र भी कोविड से प्रभावित हुआ है.
ऐसे में श्रीलंका ने भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 31 मार्च 2024 तक भारत और चीन समेत सात देशों के लिए वीजा फ्री एंट्री की घोषणा की है.
विदेश यात्रा करने वाले भारतीयों की संख्या बढ़कर 2.1 करोड़ हुई
भारत सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि विदेश यात्रा करने वाले भारतीयों की संख्या 2011 में 1.4 करोड़ से बढ़कर 2019 में 2.7 करोड़ हो गई. फिर कोरोना महामारी के कारण दो साल तक पर्यटन क्षेत्र ठप रहा. 2022 में यह संख्या फिर बढ़कर 2.1 करोड़ हो गई.
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