नई दिल्ली। फिल्म पीपली लाइव के सहायक निर्देशक महमूद फारूकी के मामले में हाईकोर्ट का फैसला आ गया है. अदालत ने बलात्कार के आरोपों से बरी कर दिया है. महमूद फारूकी को 30 जुलाई को साकेत दिल्ली कोर्ट ने कोलंबिया विश्वविद्यालय की एक अमरीकी शोधछात्रा के साथ रेप का दोषी करार दिया था. हाईकोर्ट के जज आशुतोष ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि हर बार नो का मतलब नो नहीं होता है. कोर्ट ने कहा कि एेसे भी कई उदाहरण हैं जब महिला द्वारा एक कमजोर नो का मतलब यस भी हो सकता है.
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कहा कि यह बात भी संदेह के दायरे में है कि महिला द्वारा बताया गया वाकया हुआ भी था या नहीं. और यदि हुआ भी था तो इस पर संदेह है कि एेसा महिला की मर्जी के बगैर हुआ था. कोर्ट ने यह भी कहा कि एक बात जो बेहद साफ है वह यह है कि याचिकाकर्ता अारोपी के साथ पूर्व में बेहद कम समय में ही घनिष्ठ हो गई थी. अारोपी की शराब पीने की आदत से भी वह वाकिफ थी. दोनों के बीच संबंध सामान्य दोस्ती से कही ज्यादा थे. महिला ने ही माना है कि फारूखी के साथ किस करना और गले मिलना फारूकी और उनकी पत्नी के साथ थी और जब पत्नी दूसरे कमरे में चली गई तो दोनों ने एक-दूसरे को किस करने जैसा कदम उठाया. कोर्ट ने कहा कि बताया गया है कि फारूकी उस रात रात को काफी आगे बढ़ गए थे। इसका साफ साफ मतलब है कि दोनों के बीच पूर्व संबंध थे, जो हो सकता है कि इतने तीव्र न हुए हों, लेकिन दोनों के बीच शारीरिक संबंधों पर सहमति रही है।