अमृतसर, पंजाब। रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे भारतीय छात्रों का बुरा हाल है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने उन्हें जल्द से जल्द खारकीव और कीव छोड़ने को कहा है, लेकिन उनका पड़ोसी देशों के बॉर्डर तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है. पंजाब की चार छात्राओं ने भारत सरकार को उन्हें खारकीव से निकालने की गुहार लगाई है. इनका कहना है कि वे रोमानिया के बॉर्डर नहीं पहुंच पा रही हैं. फिलहाल छात्राएं खारकीव से 23 किलोमीटर दूर परासन शहर के बंकर में छिपी हुई हैं.

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छात्राओं ने बताया कि उनके साथ भारत के करीब 1000 स्टूडेंट्स हैं, जो घायल भी हैं और थक भी चुके हैं. अब उनकी हिम्मत नहीं है कि वे रोमानिया बॉर्डर तक जा सकें. चारों लड़कियों ने वीडियो भेजकर भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है. छात्राओं ने बताया कि वह खारकीव यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट्स हैं. ट्रेन पकड़ रोमानिया बॉर्डर पहुंचने की एडवाइजरी जारी हुई, तो वे 5 किलोमीटर का सफर पैदल पूरा करके रेलवे स्टेशन पहुंची थीं, लेकिन वहां उनके साथ यूक्रेन की सेना ने सही व्यवहार नहीं किया. किसी को भी ट्रेन में जाने नहीं दिया गया. वह वोगजाल रेलवे स्टेशन के पास मेट्रो स्टेशन में जाकर छिप गईं, लेकिन तभी भारतीय छात्रों को खारकीव छोड़ने की एडवाइजरी जारी कर दी गई.

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छात्राओं का कहना है कि वोगजाल छोड़ने के बाद 15 किलोमीटर की दूरी पैदल पार की है. उनके काफी करीब बम धमाके हो रहे थे, लेकिन सभी चलते रहे. अब उन्हें परासन शहर में रुकने के लिए कहा गया है, लेकिन यह भी सुरक्षित नहीं है. यहां भारत के करीब 1000 स्टूडेंट्स फंसे हुए हैं. यहां लगातार बम धमाके हो रहे हैं. उनके पास खाने और पानी की भी कमी है. अगर जल्द ही कोई इंतजाम नहीं किया गया, तो कुछ भी हो सकता है. लड़कियों ने भारत सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें रोमानिया की जगह रशियन बॉर्डर से निकाला जाए. खारकीव व सूमी के स्टूडेंट्स के लिए रोमानिया बहुत दूर है और ट्रांसपोर्ट उपलब्ध नहीं है.

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