रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से जुड़े संगठनों की आवश्यक बैठक मंथन हॉल कचहरी चौक रायपुर में सम्पन्न हुई. जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा लाये गए कॉरपोरेट परस्त व किसान, कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन की समीक्षा की गई. बैठक की अध्यक्षता जिला किसान संघ बालोद के संरक्षक व पूर्व विधायक जनकलाल ठाकुर ने और संचालन अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही ने किया. किसान आंदोलन की समीक्षा के लिए आधार वक्तव्य कृषक बिरादरी के संयोजक डॉ संकेत ठाकुर ने रखा.

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 4 जनवरी 2021 को केंद्र सरकार के साथ किसानों की होने वाली बैठक के बाद तीनों कानून वापस नहीं लिये जाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य गारण्टी कानून नहीं बनाया जाने पर अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति (AIKSCC) व संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में दिल्ली सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के साथ एकजुटता कायम करने छत्तीसगढ़ से 1000 किसानों का जत्था 7 जनवरी को राजधानी रायपुर से दिल्ली के लिए रवाना होगा।

प्रदेश के किसानों को इन काले कानूनों से अवगत कराने 8 जनवरी से 22 जनवरी 2021 तक “खेती बचाओ” यात्रा प्रदेश के सभी धान खरीदी केन्द्रों में चलाई जाएगी । यह यात्रा 22 सितम्बर 2020 को किसान महासंघ से सम्बद्ध संयुक्त किसान मोर्चा धमतरी से जारी खेती बचाओ आंदोलन का राज्यव्यापी स्वरूप होगा। 23 जनवरी को देशव्यापी किसान आंदोलन के आह्वान पर राजभवन मार्च होगा तथा 24 जनवरी को दूसरा जत्था दिल्ली के लिए रवाना होगा जो 26 जनवरी को दिल्ली के ट्रैक्टर रैली एवं किसानों द्वारा आयोजित परेड में शामिल होगा।

बैठक में देश व्यापी किसान आंदोलन के संदर्भ में चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र की मोदी नेतृत्व में भाजपा सरकार द्वारा लाये गए तीनों कानून को भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के द्वारा केवल अच्छा है कहकर प्रचारित किया जा रहा है लेकिन कैसे अच्छा है इस सवाल का जवाब उनके पास नहीं है। लगातार किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिशें जारी है। किसानों की प्रमुख दो ही माँग है कि कॉरपोरेट परस्त व किसान, कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी तीनों कानून वापस लिए जाएं तथा स्वामीमथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप न्यूनतम समर्थन मूल्य गारण्टी कानून पारित किया जाए।

राज्य में किसानों की धान खरीदी पर हो रही कठिनाइयों पर भी व्यापक चर्चा की गई जिसमें किसान केन्द्र एवं राज्य सरकार के बीच घटिया राजनीति व झगड़ों का शिकार हो रहे हैं। खेती बचाओ यात्रा के दौरान इन कठिनाइयों के विरुद्ध मोर्चा खोल धान खरीदी को सुचारू रूप से जारी रखने राज्य सरकार को बाध्य करने का निर्णय लिया गया है।