नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता और कार्यप्रणाली की मिसाल दी जाती है. चाहे कोई भी चुनाव क्यों न हो, बड़े-बड़े राजनीतिक दल और नेता चुनाव आयोग की सख्ती से डरते हैं. 90 के दशक से पहले आम लोगों के बीच चुनाव आयोग इतना लोकप्रिय नहीं था. लेकिन इसे पहचान दिलाई तत्कालीन चुनाव आयुक्त टी एन शेषन ने. टी एन शेषन ने राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग की ताकत का अहसास कराया. वे अपनी सख्त छवि के लिए जाने जाते थे.
लेकिन अपनी सख्ती से राजनीतिक दलों को थर्रा देने वाले टी एन शेषन आज गुमनामी की जिंदगी बिता रहे हैं. 85 साल के शेषन चेन्नई के एक ओल्ड एज होम ‘एसएसम रेजिडेंसी’ में रह रहे हैं. वे भूलने की समस्या से भी ग्रस्त हैं. इस उम्र में उनकी ये हालत बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है.
टी एन शेषन की बात करें, तो वे तमिलनाडु कैडर के आईएएस अधिकारी थे. वे भारत के 10वें चुनाव आयुक्त थे. 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर 1996 तक वे चुनाव आयुक्त थे. अपने कार्यकाल में उन्होंने निष्पक्ष चुनाव कराए और नियमों का कड़ाई से पालन कराया.
तो वे साईं बाबा के भक्त थे, लेकिन उनकी मौत से वे शॉक्ड रह गए थे. सख्ती के कारण उनका राजनीतिक पार्टियों और नेताओं से काफी विवाद भी रहा. चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को शेषन ने ज्यादा पारदर्शी बनाया.
शेषन ने किए कई चुनाव सुधार
टी एन शेषन ने चुनाव सुधार की शुरुआत 1995 में बिहार चुनावों से की थी. उस वक्त चुनावों में धांधली के लिए बिहार बुरी तरह बदनाम था. बिहार में खुलेआम बूथ कैप्चरिंग होती थी और जेन्यूइन वोटर्स को वोट डालने नहीं दिया जाता था. बिहार के ग्रामीण इलाकों में तो हालत और ज्यादा खराब थी. वहां चुनाव में बैलेट नहीं बल्कि बुलेट का इस्तेमाल होता था. लेकिन जब टी एन शेषन ने चुनाव आयोग की कमान संभाली, तो उन्होंने चुनाव तैयारियों को लेकर वहां कई बार चुनाव की तारीखों में बदलाव किया.
शेषन ने बिहार में कई चरणों में चुनाव कराए. बूथ कैप्चरिंग रोकने के लिए सेंट्रल पुलिस फोर्स का इस्तेमाल किया गया. शेषन के इस कदम पर लालू यादव ने उन्हें खुलेआत चुनौतियां दी थीं. उन्होंने चार बार बिहार चुनाव की तारीखों में बदलाव किया था.
निष्पक्ष चुनाव के लिए पहली बार उन्होंने बिहार में चरणों में वोटिंग कराई. 1995 में बिहार में पांच चरणों में विधानसभा चुनाव कराए, जिसके बाद वो साल राजनीतिक इतिहास में मिसाल बन गया.
शेषन को 1996 में रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.