रायपुर। शिक्षाकर्मियों को सरकार ने बड़ी राहत दी है. हड़ताल के दौरान शिक्षाकर्मियों का वेतन जारी करने के साथ ही उस अवधि में की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को भी निरस्त किए जाने का आदेश जारी किया है. पंचायत संचालनालय ने इस संबंध में प्रदेश के सभी जिला पंचायतों और जनपद पंचायतों को आदेश जारी किया है.
सरकार के इस आदेश से उन सभी शिक्षाकर्मियों को सीधा फायदा मिलेगा जिन्हें हड़ताल के दौरान या तो बर्खास्त कर दिया गया था या फिर उनका किसी अन्य जिलों में तबादला कर दिया गया था. आदेश के बाद अब ऐसे शिक्षाकर्मियों को बहाली के साथ ही उन्हें अपने गृह जिले में वापसी हो सकेगी. जिन पर हड़ताल के दौरान सरकार ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उनके मूल जिलों में भेज दिया था. आपको बता दें ये वे शिक्षाकर्मी हैं जिन्हें शासकीय नौकरी में पति-पत्नी के होने की वजह से उन्हें उनके मूल जिले से उन जिलों में पदस्थ कर दिया गया था जिसमें पति या पत्नी पहले से पदस्थ थे.
गौरतलब है कि शिक्षाकर्मी संविलयन, समान काम समान वेतन सहित अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर 20 नवंबर से हड़ताल पर चले गए थे और लगभग 15 दिन की हड़ताल के बाद शिक्षाकर्मियों ने उस वक्त अपनी हड़ताल वापस ले ली थी जब उनका आंदोलन चरम पर था. उस दौरान शिक्षाकर्मियों व उनके नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था. उसी बीच कांग्रेस ने भी प्रदेश बंद का ऐलान कर दिया था. लेकिन इससे पहले ही सरकार ने प्रशासनिक अधिकारियों को एक्टिव कर हड़ताल रातों रात समाप्त करवा दी.
यह होगा फायदा
सरकार के इस आदेश के बाद उन शिक्षाकर्मियों की भी नाराजगी दूर हो जाएगी जो कार्रवाई की वजह से सरकार से अभी भी नाराज चल रहे थे. वहीं इस आदेश के बाद सरकार ने शिक्षाकर्मियों को एक सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया है कि उनकी सारी मांगें सरकार भविष्य में मानने जा रही है. गौरतलब है कि प्रदेश में अगले साल 2018 में ही विधानसभा चुनाव होना है और प्रदेश में शिक्षा कर्मियों संख्या 1 लाख 80 हजार है. शिक्षाकर्मी और उनके परिवार वालों की संख्या को मिलाकर एक बड़ा वोट बैंक है जिसे सरकार चुनाव के पहले साधने जा रही है. वहीं सरकार के इस कदम के बाद विपक्षी दलों को इस मामले को भुनाने में कोई कामयाबी नहीं मिल पाएगी.