अभिषेक सेमर, तखतपुर-बिलासपुर में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिस पर विश्वास करना आसान नहीं है. जिसे देखकर एक बार के लिए किसी के भी होश उड़ जाएंगे. वहीं कुदरत का एक ऐसा करिश्मा देखने को मिल रहा है. जिस पर यकीन कर पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है.

दरअसल बिलासपुर रेलवे की जीआरपी पुलिस ने सिम्स अस्पताल में एक ऐसे मरीज को दाखिल कराया है. जिसे सरकारी अस्पताल में लाते ही डाक्टरों और स्टॉफ के होश उड़ गए. इस दौरान रेलवे जीआरपी ने बताया कि रेलवे ट्रैक पर दो टुकड़ों में बंटे युवक के शरीर का धड़ हिस्सा चंद सेकेंड बाद फिर से जिंदा हो गया और खुद से उठकर अपना नाम-पता बताने लगा. ये मंजर खौफनाक था. लेकिन ट्रेन से कटने के बाद युवक का शरीर दो हिस्से में बंट चुका था. नीचला हिस्सा पटरियों के बीच और धड़ पटरियों के बाहर था. पुलिस जैसे ही लाश के पास पहुंचीं धड़ का हिस्सा अचानक हाथ के सहारे उठा और टूटते शब्दों में अपना नाम-पता बताते हुए बोला- मैं भोला लोधी हूं. बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लाक के ग्राम परसाकापा(बराही) का निवासी हूं. प्लीज सर मेरी जान बचा लीजिए. मैं जीना चाहता हूं.

बिलासपुर सिम्स अस्पताल के पीआरओ डॉ. लखन सिंह ने बताया कि मरीज के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने पहुंची रेलवे जीआरपी की टीम ने ड्यूटी में तैनात डाक्टरों को बताया कि मामले में घटना की जानकारी मिलने पर रेलवे पुलिस रेस्क्यू के लिए पहुंची. जहां देखा कि युवक रेलवे ट्रैक पर पड़ा था. ट्रेन ऊपर से गुजरने की वजह से उसका शरीर दो हिस्सों में कट चुका था. हाथ में हलचल महसूस हो रही थी. इस दौरान पुलिस के जवानों ने धड़ के हिस्से को उठाने का प्रयास किया तो उसने आंखें खोलीं. फिर वे बताने लगा कि मेरा नाम भोला लोधी है, मेरे पिता का नाम कृष्णा लोधी है.

मैं बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लाक के ग्राम परसाकापा(बराही) का निवासी हूं. जिसकी गंभीर स्थित को देखकर वे बिना देर किए अस्पताल पहुंचे. जहां डाक्टरों ने उसका प्राथमिक रूप से विशेष इलाज शुरू किया. जिसके बाद उसका आपरेशन कराया गया. फिलहाल वे खतरे से बाहर है. लेकिन उसके आगे के इलाज के लिए सिम्स अस्पताल प्रबंधन रायपुर के हास्पिटल में रिफर करने की तैयारी में जुटी हुई है.

वहीं डॉ. लखन सिंह ने आगे बताया कि बहुत कम ही ऐसे मामले सामने आते हैं. जिनकी जान बच पाती है. इसमें टाइम का सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अगर सही समय में इलाज हो जाए तो सब कुछ ठीक होता है. नहीं तो मौत के मुंह से बाहर आ पाना बहुत मुश्किल होता है. अधिकतर ऐसी घटनाओं में मौके पर ही सदमे में मौत हो जाती है. लेकिन इस घटना में पीड़ित भोला ने अपनी मौत को मात देकर ज़िंदादिली से जिन्दगी जी रहा है. जिस पर सिर्फ हैरानी ही जताई जा सकती है.