हरिओम श्रीवास, मस्तूरी. जयरामनगर (खैरा) का एक लड़का उसके ही गांव में रहने वाली एक दिव्यांग लड़की से प्यार करना था और वह उससे शादी करना चाहता था. लेकिन जैसा हमेशा देखने को मिलता है कि ऐसी शादी के लिए परिजन तैयार नहीं होते है. इस मामले में भी यहीं देखने को मिला. इस शादी के लिए दोनों के परिजन तैयार नही थे. उन्होंने सीधे शादी से इंकार कर दिया. इस मामले को लेकर एक सामाजिक बैठक भी बुलाई गई लेकिन उसमें भी फैसला नही हो सका.

जिसके बाद यह प्रेमी जोड़ा गांव के सरपंच के पास पहुंचा और अपने प्यार के बारे में बताया. इतना ही नही इस जोड़े ने यह तक कह दिया की यदि उनकी शादी नही हाती है तो वे आत्मघाती कदम उठाने से भी नहीं चूकेगें. प्रेमी युगल की बात सुनने के बाद पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि कपिलेन्द्र शर्मा ने उनके प्यार पर मुहर लगा दी. पंचायत की मौजूदगी में ही दोनों की शादी गांव के सामुदायिक भवन में करा दी गई.

युवक सोमवर सिंह जगत का उसके ही गांव की रहने वाली युवती दुरपति खुसरो से विगत 3 वर्षो से प्रेम प्रसंग चल रहा था. और अब वे शादी करना चाहते थे. लेकिन युवक-युवती के परिजन इसके लिए तैयार नही थे. उन्होंने इस शादी का विरोध शुरू कर दिया. इस विरोध के बाद भी दोनों ने तय कर लिया था की वे साथ जियेंगे और साथ ही मरेंगे. यहा तक की इस प्रेमी युगल ने शादी न होने की स्थित में आत्महत्या करने तक का मन बना लिया था.

इसी बीच यह मामला जयरामनगर खैरा पंचायत के सरपंच प्रतिनिधि के पास पहुंचा, जिसे उन्होंने गंभीरता से लिया. इसके बाद पंचायत बैठायी गयी. दोनों के परिजनों और आदिवासी समाज के पदाधिकारी को बुलाया गया. इनकी मौजूदगी में सरपंच प्रतिनिधि कपिलेन्द्र शर्मा ने दोनों युवक व युवती के आधार कार्ड पर उनकी उम्र की जांच की, जिसमें दोनों बालिग निकले. इसके बाद उन्होंने दोनों की शादी कराने का फैसला सुनाया. जिसे दोनों पक्षों ने स्वीकार भी कर लिया.

लेकिन उनकी गरीबी बीच आड़े आने लगी. जिस पर सरपंच प्रतिनिधि और ग्रामीणों ने आर्थिक सहयोग देकर दोनों प्रेमी जोड़े के लिए नये कपडे शादी में देने के लिये सामग्री खरीद कर ले आये. दोनों की शादी बड़ी धूमधाम से की गई. ग्रामीणों ने मिलकर आदिवासी समाज के दोनों पक्षो के लिए खाने के लिए भोजन की भी पूरी व्यवस्था की. गांव के सामाजिक रीति रिवाज के साथ जहां पंचायत की देखरेख में दोनों की शादी करा दी गयी. युवक युवती के परिजनों और सामाजिक प्रतिष्ठित लोगों सहित सरपंच प्रतिनिधि ने नवदंपति को आशीर्वाद भी दिया. शादी के बाद दोनों के परिजनों में खुशी झलक रही थी. ऐसी शादी इस क्षेत्र में पहली बार देखने को मिली है.

दूल्हे ने बताया कि वह मजदूरी करके अपना जीवन यापन करता है. उसे उसके ही गांव की रहने वाली एक लड़की से प्यार हो गया. जो कि दिव्यांग थी. वह उसके साथ शादी करना चाहता था और उसकी यह चाहत आज पूरी हो गई. जिसके लिए उसने परिजनों, जनप्रतिनिधियों सहित उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया जिन्होंने उनकी शादी को यादगार बनाने में सहयोग किया है.

सरपंच प्रतिनिधि कपिलेन्द्र शर्मा ने कहा कि जीते जी और मरने के बाद समाज के लिए कुछ कर जाने का संकल्प हर कोई नहीं ले लेता है, लेकिन मस्तूरी क्षेत्र जयरामनगर खैरा के सोमवार सिंह जगत ने वो मिसाल कायम की है, जो अभी तक ना देखने को मिली और ना ही सुनने में आई. शर्मा ने बताया कि बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान से प्रेरणा लेते हुए ही उन्होंने इस प्रेमी युगल की शादी कराई.