रायपुर. छ.ग.राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित “मार्कफेड” की प्रदेश के विभिन्न जिलों में सैकड़ों एकड़ बेशकीमती जमीनें जिसमें मुख्यतः नूतन किसान राइस मिल रायपुर(15 एकड़),पशुआहार संयंत्र दुर्ग (20-22एकड़),बलौदा बजार(2-3एकड़) पलारी किसान राइस मिल (1-2एकड़),भाटापारा किसान राइस मिल (5-6)एकड़, कर्वधा किसान राइस मिल (2 एकड़) सारंगढ़ किसान राइस मिल (6-7 एकड़), धमतरी (5एकड़),गुरूर किसान राइस मिल (6-7 एकड़) बालोद, राजनांनद गांव, गंडई, छुरीया, बिलासपुर आदि स्थानों पर है, परन्तु उचित प्रबंधन एवं कुप्रशासन के कारण अन्य विभागों एंव भू-माफियाओ द्वारा लगातार इन जमीनों पर अतिक्रमण किया जा रहा है. जहां विभाग के पास प्रदेश के सभी जिलों में स्वयं की जमीन होने के बावजूद विभाग पूरे प्रदेश में जिला कार्यालयों का संचालन किराये मकानों में कर रहा है.

इसी प्रकार राजधानी के प्राइम लोकेशन रामसागर पारा नूतन राइस मिल कम्पाउंड में विभाग की लगभग 15 एकड़ की जमीन है, जिस पर मुख्यालय भवन बनाये जाने के लिए संचालक मंडल द्वारा 3 बार निर्णय लिया गया एवं देवा कृति आर्किटेक्ट प्रा.लि. से अनुबंध भी हुआ है.

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का आरोप है कि वर्तमान में विपणन संघ का मुख्यालय 880, सिविल लाइंस व कटेला भवन में न्यूनतम किराए लगभग 4 लाख रुपये प्रतिमाह पर संचालित है, परन्तु विभाग के उच्च अधिकारी किराए में कमीशन के चक्कर में पहले पचपेडी नाका स्थिति पुजारी पार्क में 12 लाख रुपये प्रतिमाह के किराये पर मुख्यालय भवन स्थान्तरित करने वाले थे, लेकिन छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के प्रवक्ता नितिन भंसाली के द्वारा मुख्यमंत्री को की गई शिकायत और हस्तक्षेप के बाद पुजारी पार्क के भवन का प्रस्ताव निरस्त किया गया था.

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के प्रवक्ता नितिन भंसाली का कहना है कि इसके बाद दुबारा विभाग के प्रबंध संचालक पी अनबलंगन विभाग के मुख्यालय भवन को रायपुर विकास प्राधिकरण के अर्धनिर्मित व असुविधा युक्त नया रायपुर में लगभग 20 लाख रुपये प्रतिमाह पर लेने की तैयारी कर रहे हैं. अर्धनिर्मित व असुविधा युक्त भवन को देखते हुए विभाग के अधिकारी /कर्मचारी भी प्रबंध संचालक के इस तुगलकी आदेश का विरोध करने की तैयारी कर रहे हैं.

बता दें कि इस मामले में तकनीकी बिन्दु यह भी है कि पंजीयक सहकारी संस्थाएं छ.ग.द्वारा विभाग के पंजीयन में मुख्यालय भवन का पता 880,सिविल लाइंस रायपुर हैं ऐसे में बिना संचालक मंडल की अनुमति के ऐसी स्थिति में मुख्यालय भवन का स्थानांतरण विधिमान्य भी नहीं है.