दुर्ग. अपने सौम्य स्वभाव के लिए पहजाने जाने वाले डॉ रमन सिंह अगर राजनीती में नहीं होते तो फिर कहां होते और क्या कर रहे होते, ये सवाल पहले शायद ही कभी मुख्यमंत्री के सामने आया हो. लेकिन यह सवाल किसने पूछा, इससे पहले इसका जवाब तो सुन लीजिए, मुख्यमंत्री राजनीति में नहीं होते तो आज सेना में होते और देश की रक्षा के लिए दुश्मनों से लोहा लेते रहते.
दरअसल मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह बाल समरसता मेला में हिस्सा लेने दुर्ग के रविशंकर स्टेडियम पहुंचे थे. मुख्यमंत्री के साथ स्कूली शिक्षा मंत्री केदार कश्यप, रमशीला साहू भी कार्यक्रम में पहुंची थीं. कार्यक्रम में शासकीय एवं निजी स्कूलों के लगभग 10 हजार विद्यार्थी और पालक शामिल हुए.
मेले में शामिल हुए विद्यार्थियों से मुख्यमंत्री ने सीधा संवाद किया और उनके सवालों का जवाब दिया. इस दौरान सीएम ने मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान भी किया. इसी कार्यक्रम में अबुझमाड़ की बेटी ने सीएम से सवाल किया जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि “अगर मैं मुख्यमंत्री या डॉक्टर नही होता तो सेना में होता”
छात्रों के इन सवालों का सीएम ने दिया जवाब
नारायणपुर की एक छात्रा ने मुख्यमंत्री से उनके आदर्श के बारे में सवाल किया तो CM ने कहा – स्वामी विवेकानंद मेरे आदर्श है और शायद हर युवा पीढ़ी के आदर्श होंगे क्योंकि उन्होंने देश और संस्कृति का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया.
सूरजपुर के छात्र ने मुख्यमंत्री से सवाल किया , कि किस घटना से प्रेरित होकर उन्होंने प्रयास जैसी योजना की शुरुआत की, मुख्यमंत्री ने बताया कि कोई डॉक्टर बस्तर सरगुजा जैसे दूरस्थ अंचलों में नही जाना चाहता था, मेरे साथ पढ़ने वाला मुझसे ज्यादा होनहार बच्चा आगे की पढ़ाई नहीं कर सका. इसी वजह से दूरस्थ अंचलों के बच्चों की पढ़ाई के लिए प्रयास की शुरूआत की. सीएम ने छात्र के सवाल पर अगले साल से प्रयास की सीट दोगुनी करने की घोषणा भी की.
मुख्यमंत्री ने छात्रों से कहा कि जिस दिन बस्तर, सरगुजा के बच्चे अपने क्षेत्रों में आइएएस, आईपीएस, डॉक्टर और डीएफओ बनकर आएंगे उस दिन रमनसिंह, शिक्षामंत्री केदार कश्यप और उच्चशिक्षामंत्री प्रेमप्रकाश पांडे का प्रयास सफल होगा.