मनोज उपाध्याय, मुरैना। मुरैना बारिश के दिनों में कई गांव कीचड़ व जलभराव की समस्या से दो-दो हाथ कर रहे हैं, लेकिन शहर से सटे इमिलिया गांव के लोगों के लिए कीचड़ व गंदा पानी 12 महीने की समस्या बन चुका है। गांव से निकलने वाले पानी की निकासी नहीं होने से यह गंदा पानी सड़कों पर जमा हो जाता है। इस कारण सीसी सड़कें कीचड़ व गंदे पानी में डूबी हैं। यह जलभराव मकानों की बुनियाद हिला रहा है, इसलिए ग्रामीण हर रोज सड़क पर भरे पानी को बर्तनों से बाहर फेंकते हैं, लेकिन यह पानी कुछ देर में ही फिर गलियों को डुबो देता है।
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यह बदतर हालात हैं इमिलिया गांव की जाटव व माहौर बस्ती के। इस बस्ती के बाहर गंदे पानी का तालाब है, जो पूरी तरह लबालब है। इस तालाब के पानी की निकासी के लिए जो नाला बना, वो पंचायत ने अधूरा छोड़ दिया। गंदे पानी से यह तालाब फुल हो जाने के बाद हालात यह है कि घरों का गंदा पानी गांव की गलियों में भर रहा है। कई महीने से ग्रामीण इस समस्या से जूझ रहे है। रास्ता निकलना तो दूभर था ही अब जलभराव से मकानों की दीवारें धंसने व चटकने लगी हैं।
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जाटव बस्ती की मुन्नाीबाई बताती हैं कि इस कीचड़ व पानी में चलना मजबूरी है, इसके कारण पाव की त्वचा गल गई है। वृंदावन जाटव, सुरेश बघेल, अशोक जाटव, मलखान सिंह जाटव, महेश माहौर आदि ने बताया कि कई बार पंचायत में गुहार लगा चुके, लेकिन कोई सुनवाई नहीं करता। वृंदावन जाटव ने बताया कि गांव के चौकीदार पातीराम जाटव ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत कर दी, इसके बाद ग्राम पंचायत का सचिव मधु रामपुरे आया जिसने चौकीदार को 3000 रुपये का लालच देकर कहा, कि यह रुपये लेकर सीएम हेल्पलाइन की शिकायत बंद कर दो। चौकीदार ने यह रुपये लेने से इंकार कर दिया और कहा कि पानी की निकासी का इंतजाम पंचायत कराए।
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इमिलिया गांव की माहौर बस्ती के कई परिवार तो विकास में भेदभाव के ऐसे आरोप लगा रहे हैं, जो पंचायत ही नहीं, बल्कि जनपद व जिला पंचायत के अफसरों की निगरानी व कर्तव्यों पर सवालिया निशान उठाता है। माहौर वाली गली में रहने वाले सुखदेव माहौर के घर के बाहर करीब 20 फीट की सड़क कच्ची है। सुखदेव सहित कई लोगों का कहना है कि इस परिवार ने सरपंच को वोट नहीं दिए थे, इसी कारण उसके घर के आगे सड़क कच्ची छोड़ दी गई है, जिस पर बारिश में कीचड़ होता है।
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