रायपुर. दूषित पानी पीने के कारण साल 2014 में मनोज देवांगन की पत्नी की मौत हो गई थी. जिसके बाद देवांगन ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर उच्च न्यायालय ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी. जिसमें अधिवक्ता मनोज परांजपे, अधिवक्ता अमृतो दास एवं अधिवक्ता सौरभ डांगी शामिल थे. इस कमेटी ने रायपुर शहर में पीलिया की गंभीर स्थिति पर अपनी रिपोर्ट बुधवार को पेश की है.

मुख्य न्यायधीश टी.बी.राधाकृष्णन तथा न्यायमूर्ति शरद गुप्ता की युगलपीठ के सम्मुख प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया गया कि रायपुर में कई मोहल्लों में पीलिया फैल चुका है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने टीम को बताया है कि फरवरी में रायपुर में एक भी प्रकरण पीलिया का दर्ज नहीं किया गया, जबकि मार्च से 98 प्रकरण दर्ज किये गये, जिनमें से अधिकतर कांपा- नहरपारा, प्रेम नगर, नया पारा तथा सदर बाजार से थे. जिला अस्पताल में 6 प्रकरण तथा अंबेड़कर अस्पताल में 17 प्रकरण दर्ज किये गये.

क्या दिये सुझाव

कोर्ट कमिश्नरों ने सुझाव दिया कि सचिव स्वास्थ्य एवं नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को मिलकर पीलिया नियंत्रण हेतु कार्य करने विशेषकर कांपा-नहरपारा, गोपाल नगर, सदर बाजार क्षेत्र में वरिष्ठ चिकित्सकों की मौजूदगी में कैंप लगाये जाने हेतु निर्देश देने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करवाया जावें कि पीने के पानी प्रदाय करने वाली लाइनों से किसी भी प्रकार से दूषित पानी घरों में नहीं पहुंचे. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सचिव स्वास्थ्य विभाग को कौशल्या साहू तथा सुशीला साहू को पीलिया से हुई मौत की जांच कर उनके परिवार को मुआवजा दिलवाने हेतु निर्देश दिये जावें. कोर्ट कमिश्नरों द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने उपरांत कोर्ट ने सचिव स्वास्थ्य एवं सचिव समाज कल्याण विभाग को 3 दिनों में जवाब प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया है. प्रकरण की अगली सुनवाई 09 अप्रैल को होगी.

गौरतलब है कि कोर्ट कमिश्नरों की टीम 30 मार्च को गोपाल नगर की कौशल्या साहू के घर गई थी, जहां पर उन दो बच्चियों के स्वास्थ्य की जानकारी ली जिनकी डिलवरी के वक्त कौशल्या साहू की मौत होना बताया जा रहा है. मोवा की सुशीला साहू के घर भी टीम गई थी, जहां परिवार का कोई सदस्य नहीं मिला था.