कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने आठ साल की मासूम से दुष्कर्म करने वाले आरोपी की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। लेकिन आरोपी को अंतिम सांस तक जेल में ही रहना होगा ना ही उसे पैरोल मिलेगी और ना ही जमानत। कोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए यह भी कहा है कि रिश्ते को तार-तार करने वाली इस घटना को आरोपी ने अंजाम दिया है घटना के बाद वह सामान्य सा व्यवहार कर रहा था इसलिए उसे अंतिम सांस तक जेल में ही रखा जाए।
मामला 4 जुलाई 2017 का है। नयागांव के शासकीय प्राथमिक विद्यालय में कक्षा तीसरी में पढ़ने वाली 8 साल की मासूम शाम को छुट्टी होने के बाद जब स्कूल से घर नहीं लौटी तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरु की। इस दौरान उसका बैग और टिफिन क्लास के भीतर रखा मिला। जिसके बाद परिजनों ने मामले की शिकायत पनिहार थाना में दर्ज कराई।
बच्ची के लापता होने की घटना को पुलिस ने गंभीरता से लिया और उसकी तलाश शुरु कर दी। 13 घंटे बाद 5 जुलाई को बच्ची का शव स्कूल के पास मौजूद एक खाली पाटोर के अंदर मिला। प्रारंभिक जांच में बच्ची की गला दबाकर हत्या किये जाने का मामला सामने आया। शव के पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म करने के बाद हत्या किए जाने का खुलासा हुआ।
जांच के दौरान पुलिस को बच्ची के रिश्ते में चाचा लगने वाले मनोज प्रजापति को पुलिस ने संदेह के आधार पर हिरासत में लेकर पूछताछ की तो आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। बच्ची के लापता होने पर आरोपी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर उसे तलाशने का नाटक करता रहा और उसे अपने कुकृत्य का कोई पछतावा नहीं था। मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय ने आरोपी मनोज प्रजापति को फांसी की सजा सुनाई थी। जिला एवं सत्र न्यायालय के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। जिसके बाद मामले में उच्च न्यायालय ने जिला एवं सत्र न्यायालय के फैसले को पलटते हुए आरोपी की फांसी की सजा को आजीवन कारावास की सजा में बदल दिया।
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