भारतीय न्यायपालिका में जजों की कमी की समस्या लगातार उजागर होती रही है। ऐसे में बड़ी संख्या में मामलों को समय में निपटाना जजों के लिए बड़ी चुनौती साबित होती है। कई बार इस कारण से जज दबाव पर भी आते हैं। ताजा मामला दिल्ली हाईकोर्ट में सामने आया है, जहां जस्टिस हरीश वैद्यनाथन दिनभर की सुनवाई के बाद थक गए। यहां तक कि उन्होंने एक आवेदक को समय देने से भी इनकार कर दिया।
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रात 9 बजे तक की सुनवाई
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस वैद्यनाथन ने बुधवार को रात 9 बजे तक मामलों पर सुनवाई की। पूरी सूची खत्म किए जाने के बाद भी उनके पास आवेदकों की कमी नहीं थी। खबर है कि उन्हें आवेदक को समय देने से इनकार तक करना पड़ गया। उन्होंने खुद ही कहा कि वह पूरी तरह से थक चुके हैं और आगे सुनवाई नहीं कर पाएंगे।
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किस मामले पर हो रही थी सुनवाई
जानकारी के मुताबिक़ अदालत याचिकाकर्ता इशरत जहां की याचिका पर भी सुनवाई कर रही थी, जो पिछले 25 वर्षों से बाटला हाउस इलाके में रह रही हैं। उनकी इमारत पर 26 मई को ध्वस्त करने से जुड़ा नोटिस चस्पा कर दिया गया था, जिसमें उन्हें अनुपालन के लिए 15 दिन का समय दिया गया था।
जस्टिस वैद्यनाथन को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के वकील ने सूचित किया कि वे याचिकाकर्ता की संपत्ति सहित बाटला हाउस क्षेत्र से संबंधित सीमांकन रिपोर्ट के आधार पर प्रस्तावित कार्रवाई और सर्वेक्षण रिपोर्ट को रिकॉर्ड में रखेंगे।
हालांकि, अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और सुनवाई की अगली तारीख 10 जुलाई तय की। डीडीए के वकील ने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय के सात मई, 2025 के आदेश के तहत ध्वस्त की जाने वाली संपत्तियों के संबंध में जिलाधिकारी के कार्यालय से सीमांकन रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए।
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‘मैं यहां सुबह 10:30 मिनट से बैठा हूं…’
जल्द सुनवाई के लिए समय मांग रहे आवेदक से उन्होंने कहा, ‘मैं अपने छोर के अंत में हूं और मेरी सूची के भी। अगर आप इस तरफ आकर बैठेंगे तो समझेंगे। मैं यहां सुबह 10 बजकर 30 मिनट से बैठा हूं। अब मेरे लिए संभव नहीं है कि मैं आपको और समय दूं।’
दिन के अंतिम मामले पर सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, ‘अब इस समय तक मेरी ताकत पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। वाकई यह बहुत लंबा दिन था।’
बता दें कि, जस्टिस वैद्यनाथन को 8 जनवरी 2025 को ही दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया है।
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