हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता कहा जाता है. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेश की पूजा से ही की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश जी की मूर्ति में उनकी सूंड की दिशा का विशेष महत्व होता है? खासकर, “बाईं ओर सूंड” वाले गणेश जी की पूजा को सबसे ज्यादा शुभ और सिद्धिदायक माना गया है.

ऐसा माना जाता है कि बाईं सूंड वाले गणेश जी सौम्य और शांत स्वरूप के प्रतीक हैं. ये गृहस्थ जीवन, सुख-समृद्धि और पारिवारिक शांति के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं. इनकी पूजा से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है.
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उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा
वास्तुशास्त्र के अनुसार भी, घर में बाईं सूंड वाले गणेश जी की मूर्ति उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना शुभ फलदायक होता है. यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और घर-परिवार में सुख-शांति बनाए रखती है.
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ध्यान रहे कि दाईं ओर सूंड वाले गणेश जी को ‘उग्र स्वरूप’ माना जाता है और इनकी पूजा विशेष विधि-विधान से ही करनी चाहिए. इसलिए घर या ऑफिस में सामान्य पूजा के लिए बाईं सूंड वाले गणपति की ही स्थापना करें.
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