देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत के सपने को एक और नई उड़ान मिली है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने अमेरिकी कंपनी GE Aerospace के साथ एक बड़ा समझौता किया है, जिससे अब भारत में ही अत्याधुनिक लड़ाकू विमान का इंजन बनने लगेगा. इस इंजन का इस्तेमाल आने वाले तेजस Mk2 लड़ाकू विमानों में किया जाएगा. यह सिर्फ एक और डिफेंस डील नहीं है, बल्कि इस करार का मतलब है कि अब भारत विदेशी कंपनियों पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि खुद अपने लड़ाकू विमान बनाने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा चुका है.
क्या है तेजस Mk2 और क्यों है यह ज़रूरी?
बता दें कि, भारत ने कुछ साल पहले अपना खुद का लड़ाकू विमान तेजस Mk1 तैयार किया था. अब इसका अगला और ज़्यादा आधुनिक वर्जन- तेजस Mk2, बनाया जा रहा है. यह नया विमान ज्यादा ताकतवर इंजन, ज्यादा हथियार ले जाने की क्षमता, लंबी दूरी तक उड़ान और एडवांस तकनीक से लैस होगा. इन विमानों के शामिल होने से भारतीय वायुसेना (IAF) का बेड़ा और ताकतवर होगा.
HAL ने साफ किया है कि कंपनी हर साल 30 फाइटर जेट वायुसेना को सौंपेगी, जिससे पुराने MiG-29, Mirage-2000 और Jaguar विमानों की जगह समय पर भरी जा सकेगी. अनुमान है कि भारतीय वायुसेना (IAF) का अंतिम ऑर्डर 200 से ज्यादा विमानों का हो सकता है. यह कदम भारत के सैन्य आधुनिकीकरण और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी उपलब्धि है.
पुराने फाइटर जेट्स की जगह लेगा तेजस Mk2
भारतीय वायुसेना आने वाले सालों में अपने पुराने लड़ाकू विमानों को हटाने जा रही है. इनमें रूस का MiG-29, फ्रांस का Mirage-2000 और एंग्लो-फ्रेंच का Jaguar शामिल है. इनकी कुल संख्या लगभग 230 है. इन विमानों के रिटायर होने के बाद वायुसेना को नए आधुनिक विमानों की जरूरत होगी और इसी जरूरत को पूरा करने के लिए तेजस Mk2 को शामिल किया जाएगा.
क्या है HAL की योजना?
भारतीय वायुसेना ने शुरुआती तौर पर 120 तेजस Mk2 का ऑर्डर HAL को दिया है, लेकिन पुराने विमानों की संख्या 230 के करीब है, इसलिए अंतिम ऑर्डर 200 से ज्यादा भी हो सकता है. HAL इस संभावना को ध्यान में रखते हुए अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना बना रहा है.
तेजस Mk2 में क्या है खास?
तेजस Mk2 एक 4.5 पीढ़ी का मध्यम वजन वाला मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है. यह तेजस Mk1A से ज्यादा शक्तिशाली और आधुनिक है. इसमें जनरल इलेक्ट्रिक F414 इंजन लगाया जाएगा, जो इसे और ताकतवर बनाएगा. इसमें देश में बना Uttam AESA रडार होगा, जिससे निगरानी और लक्ष्य साधने की क्षमता काफी बढ़ जाएगी. यह विमान आधुनिक हथियारों को भी इस्तेमाल कर सकेगा, जिनमें भारत की अपनी लंबी दूरी की अस्त्र (Astra) मिसाइल शामिल है. तेजस Mk2 को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह मौजूदा विमानों और भविष्य में बनने वाले पांचवीं पीढ़ी के AMCA विमान के बीच की तकनीकी खाई को भर सके.
तेजस: भारत का अपना लड़ाकू विमान
तेजस एक हल्का, एक इंजन वाला, चौथी पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर जेट है. इसे भारत में ही डिज़ाइन और तैयार किया गया है. यह विमान 1980 के दशक में शुरू हुए एक प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसका मकसद था कि पुराने मिग-21 विमानों की जगह भारतीय तकनीक से बने नए विमान वायुसेना को दिए जाएं.
हर साल कितने तेजस होंगे तैयार?
डिफेंस डॉट इन नाम की वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, HAL पहले से ही तेजस Mk1A के लिए तीन असेंबली लाइनें तैयार कर चुका है. इन लाइनों से 2028 तक हर साल 30 विमान बनाए जाएंगे. तेजस Mk2 के लिए HAL ने शुरुआती उत्पादन दर 24 विमान प्रति वर्ष तय की है. इस हिसाब से वायुसेना को 2036 तक 120 विमान मिल जाएंगे. अगर अंतिम ऑर्डर 200 से ज्यादा हुआ, तो HAL अपनी क्षमता बढ़ाकर 30 विमान प्रति वर्ष बनाने लगेगा. इस तरह बड़ी संख्या में विमानों की डिलीवरी समय पर पूरी की जा सकेगी.
इंजन निर्माण में बड़ी साझेदारी
तेजस Mk2 के लिए इंजन भारत में ही बनाए जाएंगे. इसके लिए HAL और अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है. इस समझौते के तहत GE F414 इंजन भारत में ही लाइसेंस उत्पादन के तहत तैयार किए जाएंगे. यह आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक बड़ा कदम है.
कब उड़ेगा पहला तेजस फाइटर जेट?
तेजस Mk2 के विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. इस फाइटर जेट की पहली उड़ान साल 2027 में होने की संभावना है. इसके बाद इसका सीरियल प्रोडक्शन 2031 से शुरू किया जाएगा. यह योजना भारतीय वायुसेना की युद्ध क्षमता और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगी.
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