बेमेतरा। जिले के साजा विकासखंड के टिपनी ग्राम पंचायत में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के तहत जय महामाया महिला स्व सहायता समूह गोबर गमला निर्माण का कार्य कर रही है. गोबर गमला निर्माण में कच्चा माल के रूप में गोबर, पीली मिट्टी, चूना, भूसा इत्यादि का उपयोग किया जाता है. एक गोबर के गमला के निर्माण में करीब 7 रूपए की लागत आती है. अभी तक 1500 गमलों का निर्माण किया जा चुका हैं, जिसमें से 1200 गमलें 15 रुपए प्रति नग के दर से 18 हजार रूपए का गमला विक्रय किया जा चुका है.

जय महामाया महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि उनको गोबर से गमला बनाने का निर्देश कलेक्टर एवं मुख्यकार्यपालन अधिकारी ने दिया गया था. गोबर से गमला बनाने के मुख्य लाभ यह है कि यह टिकाऊ होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल है और प्लास्टिक/पॉलीथिन के गमले के स्थान पर इनका उपयोग किया जाता है. अगर गमला क्षतिग्रस्त हो गया इनका अपशिष्ट खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है. गोबर के गमले का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग वृक्षारोपण या पौधे की नर्सरी तैयार करने में हैं. जिसमें गोबर के गमले में लगे पौधे को सीधा भूमि पर रोपित कर सकते है.

गोबर खाद के रूप में अधिकांश खनिजों के कारण मिट्टी को उपजाऊ बनाता है. मुख्यतः पौधे की मुख्य आवश्यकता नाईट्रोजन, फॉसफोरस और पोटेशियम की होती है. ये खनिज गोबर में क्रमशः 0.3-0.4, 0.1-0.15 और 0.15-0.2 प्रतिशत तक विद्यमान रहते है. मिट्टी के सम्पर्क में आने से गोबर के विभिन्न तत्व मिट्टी के कणों को आपस में बांधते है. यह पौधों की जड़ो को मिट्टी में अत्यधिक फैलाता हैं और मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाती है. इस प्रकार गोबर के गमले के निर्माण सें जय महामाया महिला स्व सहायता समूह टिपनी आजीविका के साथ-साथ पर्यावरण को संवर्धित करने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं.