शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश में मदरसा को लेकर जारी सियासत के बीच राष्ट्रीय बाल आयोग के आंकड़े में चौंकाने वाले खुलासे हुए है। इन आंकड़ों में दावा किया गया की मध्यप्रदेश में 1,755 पंजीकृत मदरसों में 9,417 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं। आंकड़े सामने आने पर शिक्षा विभाग ने डीईओ को मदरसों के जांच के निर्देश दिए है। जांच में पता चला कि हिंदू बच्चों को दीनी तालीम दी जा रही है।

फर्जी मदरसों पर कार्रवाई

प्रदेश के ग्वालियर-चंबल में सबसे ज्यादा फर्जी मदरसे मिले है। जिस जिले में सबसे कम मुस्लिम आबादी वहां सबसे ज्यादा मदरसे है। 100 बच्चों वाले हर मदरसे में 50 से 60 हजार को अनुदान मिलता है। भिंड़ और मुरैना जिलों में मुस्लिम आबादी प्रदेश में सबसे कम लेकिन मदरसे सबसे ज्यादा है। भिंड में 67, मुरैना में 70 फीसदी मदरसे, जबकि सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले बुरहानपुर में सिर्फ 23 मदरसे है। बच्चों की समग्र आईडी जुटाकर मदरसा संचालकों ने अपने यहां फर्जी तरीके से दाखिया दिखाया है। श्योपुर में 80 में से 56 मदरसों का मान्यता रद्द किया गया है। 56 में से 54 मदरसे राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त कर रहे थे। भिंड के मदरसा हुसैनी फॉर ऑनली गर्ल्स में 77 बच्चों में 35 बच्चे हिन्दू है।

गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसे में दीनी तालीम नहीं दी जाएगी

सरकारी अनुदान, खाद्य और मिड-डे मील पाने के लिए फर्जी एडमिशन किए गए। पढ़ाई छोड़ चुके बच्चे भी मदरसे के छात्र है। अनुदान के चक्कर में कई जगह कागजों में हिन्दू बच्चों को एडमिशन दिया गया। दूसरे स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का नाम भी मदरसों में दर्ज है। फर्जीवाड़ा और हिंदू बच्चों को दीनी तालीम देने का मामला सामने के बाद सरकार ने आदेश निकाला है कि गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसे में दीनी तालीम नहीं दी जाएगी। नाबालिग बच्चों को दीनी तालीम की शिक्षा देने से पहले अभिभावकों की परमिशन लेनी होगी। मध्यप्रदेश में करीब डेढ़ हजार सरकारी अनुदान वाले मदरसे है। सरकार के आदेश का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई होगी और अनुदान बंद होगा।

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