लखनऊ। प्रेमानंद महाराज सोशल मीडिया में छाए रहते हैं। उनके दिए गए उपदेशों ने कई लोगों की जिंदगी बदली दी। बीते दिनों एक अनुयायी ने स्वामी प्रेमानंद जी से पूछा कि “घर में एक्वेरियम में मछलियां एक-एक करके मर गईं, तो क्या मुझे पाप लगेगा?” तो स्वामी जी ने बड़ी करुणा से उत्तर दिया।

पाप तब लगता है जब मन में क्रूरता हो

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि पाप तब लगता है जब मन में क्रूरता हो, जब किसी जीव को जानबूझकर कष्ट दिया जाए। लेकिन यदि आप मछलियों की सेवा कर रहे थे, उन्हें प्रेम से पाल रहे थे, उनकी देखभाल कर रहे थे, और फिर भी वे मर गईं, तो यह आपका दोष नहीं है। यह प्रकृति का नियम है कि हर जीव को एक न एक दिन जाना ही होता है।

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प्रेम कभी पाप नहीं हो सकता

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि प्रेम कभी पाप नहीं हो सकता। जो मछलियां आपके एक्वेरियम में थीं, वे भाग्यशाली थी कि उन्होंने आपके स्नेह और देखभाल के बीच अपना जीवन जिया। हां, यदि कोई उनकी सही देखभाल न करे, उन्हें भूखा रखे या उनकी जरूरतों की अनदेखी करे, तो वह पाप होगा। अतः दुखी न हों, बल्कि इस भावना के साथ आगे बढ़ें कि आपने उन नन्हीं जिंदगियों को अपना प्रेम दिया। और यदि संभव हो, तो अगली बार मछलियों को पालने से पहले उनकी सही देखभाल की तैयारी करें, ताकि वे अधिक समय तक खुशहाल रह सकें।

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