तेलंगाना के भद्राचलम शहर और आसपास के इलाकों में शुक्रवार को बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. गोदावरी नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और जलस्तर हर घंटे बढ़ रहा है. मंदिर शहर के कई रिहायशी इलाके और भद्राद्री कोठागुडेम जिले में नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांव बाढ़ में डूब गए. शुक्रवार सुबह 11 बजे भद्राचलम बांध का जलस्तर 68.70 फीट था, जो तीसरे बाढ़ चेतावनी स्तर 53 फीट से काफी ऊपर है. जिला कलेक्टर डी. अनुदीप के मुताबिक, आवक और बहिर्वाह करीब 23 लाख क्यूसेक था.

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अनुदीप ने कहा कि नदी के ऊपर से बड़े पैमाने पर पानी की आवक जारी है और जल स्तर 75 फीट तक बढ़ सकता है. उन्होंने शांति नगर, राजूपेटा, औद्योगिक क्षेत्र, CRPF कैंप, मंदिर क्षेत्र और मुदिराज स्ट्रीट के लोगों को राहत शिविरों में जाने का निर्देश दिया. इन इलाकों से अब तक करीब 10 हजार लोग राहत शिविरों में पहुंच चुके हैं. चेर्ला, दुम्मुगुडेम, अश्वपुरम, बरगमपाडु, पिनापाका और मनुगुर मंडल (ब्लॉक) में लगभग 100 गांव सड़क संपर्क जलमग्न होने के कारण कट गए. बिजली ट्रांसफार्मरों में पानी भर जाने से अधिकारियों ने एहतियात के तौर पर गांवों में बिजली आपूर्ति बंद कर दी.

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राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमों ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने अधिकारियों को भद्राचलम में राहत सामग्री भेजने के लिए हेलीकॉप्टर की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं. वाहनों के आवागमन के लिए प्रसिद्ध गोदावरी पुल के बंद होने से भद्राचलम दूसरे दिन भी कटा रहा. मंदिर शहर को पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से जोड़ने वाले इस पुल पर गुरुवार शाम को वाहनों का आवागमन रोक दिया गया था. शाम 5 बजे प्रतिबंध लगाए गए. 48 घंटे की अवधि के लिए एहतियात के तौर पर नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी.

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इस पुल के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब इसे बाढ़ के कारण बंद किया गया है. पिछली बार इसे यातायात के लिए 1986 में बंद किया गया था जब जलस्तर 75.6 फीट तक पहुंच गया था. अधिकारियों ने भद्राचलम और बरगमपाडु मंडलों में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा भी लगाई. अधिकारियों ने कहा कि लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने से रोकने के लिए ऐसा किया गया क्योंकि बाढ़ की स्थिति के कारण उन्हें खतरा हो सकता है. कस्बे में एनडीआरएफ की तीन टीमों को तैनात किया गया है.