चेन्नई. तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि के निधन के बाद उस वक्त विवाद खड़ा हो गया, जब एआईएडीएमके सरकार ने एम करुणानिधि के अंतिम संस्कार लिए मरीना बीच पर जगह देने से इनकार कर दिया. मामला देर रात कोर्ट तक पहुंचा. मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार (08 अगस्त) सुबह 8 बजे से इस मामले पर सुनवाई शुरू कर दी. इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है और मरीना बीच पर ही करुणानिधिक के अंतिम संस्कार पर अपनी मुहर लगाई है.
वहीं तमिलनाडु सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है. सरकार का कहना है कि मरीना बीच पर जगह नहीं है. तमिलनाडु सरकार ने अपने हलफनामे ने कहा कि मरीना बीच पर अंतिम संस्कार को सिर्फ मौजूदा मुख्यमंत्रियों को ही मरीना बीच पर अंतिम संस्कार के लिए जगह दी गई है. सरकार ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों का अंतिम संस्कार गांधी मंडपम में किया गया है, क्योंकि करुणानिधि मौजूदा मुख्यमंत्री नहीं हैं, इसलिए उनका अंतिम संस्कार भी गांधी मंडपम में किया जाना चाहिए. राजनीति में 61 साल तक सक्रिय रहने वाले करुणानिधि 13 बार राज्य के एमएलए रहे हैं और एक बार तमिलाडु के एमएलसी भी रहे. करुणानिधि सबसे पहले साल 1957 में विधानसभा चुनाव में चुने गए थे जिस समय जवाहरलाल लाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे. वहीं एम करुणानिधि को श्रद्धांजलि देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चेन्नई पहुंच गए है.
ये हुआ कोर्ट में
सराकरी वकील ने कहा, ”कोर्ट किसी भावना के आधार पर आदेश/फैसला नहीं देती बल्कि नियम कानून के मुताबिक तय करती है. इस याचिका में कुछ ऐसा नहीं है जिस आधार पर इसको सुना जा सके. ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ समाधि बनाने का मुद्दा है. एक बार समाधि बन गयी तो उसके बाद वहां पर मेमोरियल भी बनाने की मांग उठने लगेगी.” करुणानिधि को श्रद्धांजलि देने पहुंचे अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने डीएमके की मांग का समर्थन किया है. कमल हासन ने कहा है कि मरीना बीच पर ही समाधि बने. सराकरी वकील ने कहा, ”कोई पद पर होता है और कोई पद पर रह चुका होता है सबके लिए अलग अलग प्रोटोकॉल होता है. इस मामले में हम परंपरा का पालन कर रहे हैं वो परंपरा जो खुद करुणानिधि ने तय की. उनके कार्यकाल के दौरान 3 पूर्व सीएम की मृत्यु हुई थी लेकिन उन्हें मरीना बीच पर जगह नहीं मिली.” सरकारी वकील ने कहा, ”ऐसा नहीं है कि हम उनका अपमान कर रहे हैं हम तो उनकी बातों और आदेशों का पालन कर रहे हैं. उल्टा याचिकाकर्ता ही करुणानिधि का अपमान कर रहे हैं जो वो उनके पहले के आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं. याचिकाकर्ता ने प्रेस रिलीज़ को चुनौती दी है न कि किसी सरकार के आदेश को.” सरकारी वकील ने कहा, ”1975 में के कामराज को भी मरीना बीच पर पर जगह नहीं दी गयी और वो आदेश खुद करुणानिधि ने ही जारी किया था ये कहते हुए कि वो सीएम नहीं थे. 1996 में जानकी रामचंद्रन पूर्व सीएम को भी मरीना बीच पर जगह नहीं दी गयी और वो आदेश खुद करुणानिधि ने ही जारी किया था. इसको पैरिटी( समानता) के आधार पर देखना चाहिए. सीएम ने पूछा था कि इससे पहले के मामलों में क्या किया गया था, उसी को ध्यान में रखकर ये फैसला लिया गया.”