सक्ती. नगर पालिका परिषद सक्ती ने करीब एक माह पहले वार्षिक निविदा जारी की थी, जिसका सोमवार को यानी आज टेंडर खुलना है, मगर टेंडर खुलने से पहले ही पूरा ठेका सेट कर लिया गया है. करीब 1 करोड़ 17 लाख रुपए के काम पहले ही ठेकेदारों ने आपस में बांट लिए है और निविदा मूल्य से अधिक में ठेका लेने की तैयारी है.

नगर पालिका के कई जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस खेल में शामिल है. सबको उनका कमीशन पहले ही दे दिया गया है. साथ ही कई तथाकथित ठेकेदारों को भी उनका कमीशन दे दिया गया है, जिसके बाद आधे से अधिक लिए गए टेंडर फार्म जमा ही नहीं हुए.

ये होने वाला है खेल

आपको बता दें कि नगर पालिका सक्ती में वार्षिक निविदा क्रमांक 1737 में कुल 7 कार्य निकाले गए हैं, जो कुल साढ़े 51 लाख रुपए का है. वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पहले नंबर का कार्य जल प्रदाय सामग्री क्रय में कंपीटिशन है. आपसी समझौता नहीं होने की स्थिति में कई लोग इसमें टेंडर डाले हैं. इसके अलावा बचे शेष 6 कार्य आपसी समझौते में बांट लिए गए हैं, जो 4 फर्मों को मिलने वाली है, जिसमे से दो फर्मों को 2-2 कार्य के ठेका मिलने वाला है.

इसी प्रकार वार्षिक निविदा क्रमांक 1735 में जोनल कार्य के तहत 4 भागो में कार्यों विभाजन कर निविदा निकाली गई है, जो कुल राशि 66 लाख रुपए की है. इसमें टेंडर लेने के लिए 8 फर्मों ने टेंडर फार्म लिया है. सभी ने चारों कार्यों के लिए शुल्क पटाकर टेंडर फार्म लिया है, मगर सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार चारों कार्य एक ही फर्म द्वारा किया जाना है. सभी ने आपसी समझौता के साथ एक ही फर्म को ये काम दे दिया है, जो निर्धारित मूल्य से अधिक में ठेकेदार द्वारा भरा गया है.

शासन को लाखों का नुकसान पहुंचाने की तैयारी

सेटिंग का ये पूरा खेल ठेकेदारों को फायदे के साथ शासन को लाखों का नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है, क्योंकि खुलने वाले प्रत्येक ठेके में 10 से 15 परसेंट तक अधिक में ठेका होने वाला है, जो पहले से ठेकेदारों ने बैठक कर सेट कर लिया है. यानी की 1 करोड़ से अधिक के टेंडर में नगर पालिका को 15 से 20 लाख का नुकसान होने वाला है.

नगर पालिका के इंजीनियर की भी संलीप्ता

इस पूरे षड्यंत्र में जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ नगर पालिका के इंजीनियर की भी संलीपता दिख रही है, क्योंकि जब नगर पालिका इंजीनियर से इस संबंध में ठेकेदारों की जानकारी चाही गई तो वो गोल मोल जवाब देकर जानकारी देने से मना कर दिए. वहीं इंजीनियर के इस बरताव से एक बात स्पष्ट है कि नगर पालिका में भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा में पहुंच चुका है, जिसे लगाम लगाना अब अधिकारियो के बस से बाहर है.

दिनभर इंजीनियर के कमरे में बैठा रहा ठेकेदार

नगर पालिका सक्ती में इन दिनों ठेकेदारों की मनमानी ने सारे नियम कायदे को ताक पर लगा दिया है. नगर पालिका के अधिकारी भी इनके सामने बेबस नजर आते हैं. वार्षिक निविदा प्रकाशित होते ही नगर पालिका में ठेका लेने के लिए लोग आवेदन फार्म लेने पहुंचते हैं, मगर वहां सुबह से शाम तक इंजीनियर के कमरे एक ठेकेदार कुर्सी जमाकर बैठा रहता है, जो हर आवेदन फार्म लेने वालो की जानकारी लेता रहता है और ये सब नगर पालिका के इंजीनियर की मिलीभगत से ही होता है, जबकि नियमानुसार फार्म लेने वाले लोगो का नाम गोपनीय रखा जाना चाहिए. ये सारी चीजे अधिकारी चाहे तो नगर पालिका के सीसीटीवी कैमरे से स्पष्ट कर सकते हैं, जिसमें ठेकेदार और इंजीनियर की करतूत कैद है.

इस पूरे मामले में नगर पालिका के अधिकारियों से हमने जानकारी लेनी चाही, मगर उनका नंबर बंद आया. नगर पालिका के नेता प्रतिपक्ष धनंजय नामदेव का कहना है कि टेंडर में गड़बड़ी की बात सामने आई है. सोमवार को टेंडर खुलना है. अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा करेंगे. अगर कोई गड़बड़ी हुई है तो टेंडर निरस्त करने की मांग करेंगे.

पहले भी शासन को लगा चुके हैं लाखों का चूना

आपको बता दें कि इसके पूर्व भी पिछले साल ऐसा ही षड्यंत्र कर शासन को लाखों का चूना लगाया गया था, जिसमें करोड़ों के कार्य की टेंडर निकाला गया था और ठेकेदारों ने अधिकारियांे और जनप्रतिनिधियों से सांठगाठ कर निविदा राशि से अधिक में टेंडर ले लिया था. अपने षड्यंत्र में सफल होने के बाद एक बार फिर वही षड्यंत्र रचा गया है, जिसमें नगर पालिका को लाखों का नुकसान उठाना पड़ेगा.