पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद. जिले के पायलीखण्ड गांव में बोरवेल मशीन के पहुंचने का रास्ता न होने से गांव के लोगों ने श्रमदान कर मिट्टी और लकड़ी डालकर रास्ता तैयार किया. पेय जल के संकट को देखते हुए कलेक्टर ने 2 बोर खनन का निर्देश दिया था. पायलीखण्ड के बेशकिमती हीरे की चमक भले विदेशों तक पहुंच चुकी है, लेकिन यहां रहने वाले ग्रामीणों को आए दिन मूलभूत सुविधाओं से जूझना पड़ता है.

बता दें कि, पेयजल की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों की समस्या को ध्यान में रखकर कलेक्टर निलेश क्षीरसागर ने 2 बोरवेल खोदने का निर्देश जारी किया. आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त बी के सुखदेवे ने खनन की मॉनिटरिंग की.

जानकारी के अनुसार पंचायत मुख्यालय के बीच उंदन्ति नदी है. जिससे लोगों के सामने भारी भरकम बोरवेल मशीन को सूखी नदी से पार कराने की चुनौती थी. चुनौती को सामना करते हुए पायलिखण्ड के लोग श्रमदान कर बोरवोल मशीन को नदी पार कराया. एक बार फिर 25 साल बाद गांव में दो हैंडपप लगाया गया. बोर खनन के बाद ग्रामीणों ने कलेक्टर व जिला प्रसाशन के प्रति आभार व्यक्त किया है.

दरअसल रास्ता तैयार करने के लिए पायलीखण्ड में रहने वाले जनपद सदस्य जयराम नागेश, पंच नयन सिंह, भुजिया प्राधिकरण सदस्य विशाल सोरी, पंच नयन सिंह, विशाल सोरी,दुलारसिंह, समेत यहां रहने वाले 100 से भी ज्यादा जवान और बुजुर्गों ने श्रम दान किया.