बिलासपुर. मेडिकल पीजी प्रवेश परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद नियम में परिवर्तन करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका पर शुक्रवार को बहस पूरी हो गई है. जिसके बाद हाईकोर्ट ने साल 2018 के प्री पीजी नियमों को निरस्त कर दिया है. हाईकोर्ट ने साल 2017 के नियम को लागू करने का आदेश दिया है. जो कि सुप्रीम कोर्ट व एमसीआई के नियमानुसार है. साथ ही सर्विस के लिए कट ऑफ डेट 31 मार्च निर्धारित किया गया है.

बता दे कि प्री पीजी प्रवेश परीक्षा के उपरांत मेडिकल पीजी में प्रवेश दिया जाता है. छत्तीसगढ़ शासन ने ग्रामीण तथा अनुसूचित क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने वाले डॉक्टरों को प्री पीजी प्रवेश परीक्षा में 10 बोनस अंक देने का नियम बनाया था. वर्ष 2018 में संचालक चिकित्सा सेवा ने प्री पीजी प्रवेश परीक्षा होने के बाद नियम में संशोधन किया है. संशोधन के अनुसार सामान्य अनुसूचित क्षेत्र में पदस्थ डॉक्टर को तीन बोनस अंक और दुर्गम क्षेत्र में पदस्थ डॉक्टर को 10 बोनस अंक दिया जाना है.

इस संशोधन के खिलाफ डॉक्टर अंकित पालीवाल सहित अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने कांउसिलिंग पर रोक लगा रखा है.

गौरतलब है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इन्ही सब मांगो के लिए संचालक चिकित्सा शिक्षा का घेराव भी किया था. बार बार विद्यार्थी परिषद द्वारा आवेदन करने के बाद भी संचालनालय द्वारा कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर मजबूर होकर 6 याचिका 4 अप्रेल को बिलासपुर में स्टेट के खिलाफ डाली गई थी. जिसका निर्णय आज आया है.

यह निर्णय अपने आप मे प्रदेश की साख पर सवाल है, क्योंकि हर साल प्रदेश में गलत तरीके से नियम बनते आये हैं. तथा हाईकोर्ट ने ही सही फैसला सुनाया है. पिछले साल 2017 में भी देरी से नियम जारी होने की वजह से 2016 के नियम लागू किया गया था.