वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर. आयकर विभाग के अधिकार क्षेत्र पर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी संस्था को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 12 एए के तहत पंजीकरण प्राप्त है और वह पंजीकरण वैध है तो आयकर विभाग उस संस्था की गतिविधियों की प्रामाणिकता या स्वरूप की दोबारा जांच नहीं कर सकता। खासकर जब बात धारा 80 जी के अंतर्गत छूट का अनुमोदन मिल चुका हो।
हाईकोर्ट ने रायपुर आयकर आयुक्त द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी), रायपुर पीठ के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें आधारशिला शिक्षण संघ को आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के अंतर्गत छूट की स्वीकृति देने का निर्देश दिया गया था। पंजीकृत संस्था आधारशिला शिक्षण संघ ने 28 फरवरी 2014 को आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के तहत छूट अनुमोदन के लिए आवेदन किया था। इस पर आयकर आयुक्त, रायपुर ने संस्था की गतिविधियों की वास्तविकता की जांच के लिए मूल्यांकन अधिकारी से रिपोर्ट मंगाई।

संस्था ने अपनी ऑडिट किए गए वित्तीय विवरण, मूल दस्तावेज और अन्य सूचनाएं प्रस्तुत की, जिनमें यह बताया कि संस्था व्यावसायिक शिक्षा देती है और नक्सल-प्रभावित क्षेत्रों के छात्रों के लिए हॉस्टल संचालित करती है। हालांकि, 8 अगस्त 2014 की रिपोर्ट में आयकर आयुक्त रायपुर ने यह कहा कि संस्था की गतिविधियां व्यावसायिक हैं क्योंकि वह फीस लेती है और सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से भी धन प्राप्त करती है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि संस्था ने अपने भवन वाणिज्यिक किराए पर दिए हैं और अधोसंरचना विकास के लिए बड़े ऋण भी लिए हैं। इन तथ्यों के आधार पर, आयकर आयुक्त ने 25 अगस्त 2014 को 80 जी के अनुमोदन का आवेदन यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि संस्था परोपकारी नहीं बल्कि व्यावसायिक गतिविधियों में संलग्न है।
आयकर विभाग के आदेश से असंतुष्ट होकर संस्था ने आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण रायपुर में अपील दायर की। अधिकरण ने 15 जनवरी 2019 को पारित आदेश में संस्था की अपील स्वीकार कर ली और कहा कि जब संस्था को पहले ही पंजीकरण मिल चुका है और वह रद्द नहीं हुआ है तो आयकर आयुक्त को धारा 80 जी के तहत छूट देने से इनकार करने का अधिकार नहीं है। अधिकरण ने स्पष्ट कहा: जब आयकर आयुक्त ने धारा 12 एए के तहत पंजीकरण प्रदान किया है और ट्रस्ट की गतिविधियों की वास्तविकता की जांच की है तथा पंजीकरण रद्द नहीं किया गया है तो यह उचित नहीं है कि आयकर आयुक्त यह कहकर धारा 80 जी की छूट अस्वीकार कर दे कि ट्रस्ट की गतिविधियां वास्तविक नहीं है। इस आदेश को आयकर आयुक्त ने हाईकोर्ट में चुनौती देते अपील की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें