जयपुर. ज्योतिष में महाग्रंथ बृहस्पति संहिता में कहा गया है कि ग्रहाधीनं जगत्सर्वं ग्रहाधीनाः नरावराः। कालज्ञानं ग्रहाधीनं ग्रहाः कर्मफलप्रदाः।। अर्थात- सम्पूर्ण चराचर जगत ग्रहों के अधीन ही है. ग्रहों के अधीन ही सभी श्रेष्ठ मनुष्य होते हैं. कालका ज्ञान भी ग्रहों के अधीन है और ग्रह ही कर्मो के फल को देने वाले होते हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम पारलौकिक लीला में तो ग्रहों से परे हैं. किन्तु जब वे पृथ्वी पर लौकिक लीला करने आते हैं तो वे भी ग्रह योगों और उनके प्रभाव से भाग नहीं पाये. त्रेतायुग में जब परम विष्णु श्रीराम के रूप में जन्म लिया तो शुभ-अशुभ ग्रहों के प्रभाव का सामना करते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये. रामनवमी पर भगवान श्रीराम के मंदिरों में विभिन्न आयोजन कर भक्ति भाव एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.

बीकानेर के तेलीवाड़ा चौक स्थित प्राचीन रघुनाथ मंदिर में इस दिन भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली के वाचन की विशेष परम्परा है. पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार के सदस्यों की ओर से मंदिर परिसर में स्थित वीर हनुमान की प्रतिमा के समक्ष भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली का वाचन किया जाता है. बताया जा रहा है कि पिछले 108 साल से इस मंदिर में हस्तलिखित भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली के वाचन की परम्परा चली आ रही है.

देशभर में केवल बीकानेर के तेलीवाड़ा चौक स्थित रघुनाथ मंदिर में ही रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली का वाचन होता है. कुंडली एक शताब्दी से अधिक पुरानी है और हस्तलिखित है. भगवान हनुमान की मूर्ति के समक्ष कुंडली का वाचन किया जाता है. रघुनाथ मंदिर में होने वाले कुंडली वाचन में भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली के वाचन से पहले जन्म कुंडली का विधि विधानपूर्वक मंदिर परिसर में पूजन किया जाता है. कुंडली वाचन के बाद श्रद्धालुओं में पंचामृत और पंजेरी के रूप में प्रसाद का वितरण किया जाता है.

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