नई दिल्ली। दिल्ली के स्वरूपनगर में एक सनसनीखेज वारदात का खुलासा हुआ है. दरअसल यहां 38 दिनों तक एक 7 साल के बच्चे की लाश सूटकेस में रखी हुई थी और इसकी भनक तक किसी को नहीं लगी. अब इस बच्चे के हत्या के पीछे क्या वजह थी, उसकी हत्या किसने की और लाश सूटकेस तक कैसे पहुंची, ये हम आपको बताते हैं.
दरअसल मृतक बच्चे का नाम आशीष है. वो अचानक अपने घर से गायब हो गया था. उसके दादा लाल सिंह ने पोते आशीष के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई और पुलिस को अवधेश पर शक होने की बात बताई. आरोपी अवधेश को आशीष चाचा कहा करता था. आरोपी ने आशीष का किडनैप कर उसकी हत्या कर दी और लाश को अपने सूटकेस में 38 दिनों तक छिपाकर रखा. जब भी बदबू उठती थी, तो वो पड़ोसियों को मरा हुआ चूहा निकालकर दिखा देता था. बच्चे के शव की बदबू बाहर न जाए, इसलिए आरोपी अवधेश कई तरह के परफ्यूम इस्तेमाल करता था. आरोपी आईएएस एग्जाम की तैयारी भी कर रहा था. वो 3 बार एग्जाम भी दे चुका था और दो बार प्री एग्जाम में पास भी हुआ था.
आशीष की बहन गुंजन ने बताया कि आशीष ने कहा था कि अवधेश चाचा ने उसे शाम को साइकिल देने के लिए बुलाया है और वो ये बात मां को नहीं बताए. बता दें कि वारदात के बाद 18 दिन तक आरोपी केस दर्ज कराने से लेकर हर जगह परिजनों के साथ ही रहा.
मृतक बच्चे की मां ने बताया कि अवधेश परिवारवालों को गुमराह करने के लिए कहता था कि बच्चे को पैसे के लालच में किसी महिला ने उठाया है. आरोपी अवधेश पीड़ित परिवार के दूर का रिश्तेदार है.
पुलिस की गंभीर लापरवाही उजागर
इस पूरे मामले में पुलिस की लापरवाही भी सामने आई है. मृतक बच्चे के घर से 4 मकान छोड़कर पांचवें मकान में आरोपी अवधेश ने 38 दिनों तक बच्चे की लाश को छिपाए रखा. गली में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी साफ दिख रहा था कि बच्चा आखिरी बार आरोपी के घर के पास ही दिखाई दिया था. गली में आरोपी के मकान से आगे लगे दूसरे सीसीटीवी कैमरों में बच्चा कहीं नजर नहीं आ रहा है. इसके बावजूद पुलिस ने आरोपी का घर छोड़कर आसपास के 50 से ज्यादा घरों की तलाशी ली और लोगों के घरों में रखी अलमारी और बक्से से लेकर पानी की टंकियों तक की तलाशी ली. लेकिन आरोपी के घर की तलाशी पुलिस ने नहीं ली और सीसीटीवी फुटेज को पुलिस ने पूरी तरह से नज़रअंदाज कर दिया.
पीड़ित मां ने कहा कि आरोपी का उसके घर पर बहुत आना-जाना था. वो उसके लिए खाना भी बना देती थी. उन्होंने बताया कि जब से आशीष घर से लापता हुआ था, तब से आरोपी अवधेश उसके घर में कुछ ज्यादा ही आने-जाने लगा था और हर बार कोई न कोई बात बनाता रहता था. कभी तांत्रिक की बातें, तो कभी कुछ और.
बच्चे की मां ने बताया कि आशीष का 19 दिसंबर को जन्मदिन था. उसने अपने पापा से साइकिल की मांग की थी, लेकिन पापा ने कहा कि आपको डॉक्टर बनना है, तो साइकिल नहीं लाऊंगा. इस पर आशीष ने कहा कि मुझे साइकिल नहीं चाहिए, मुझे डॉक्टर बनना है. इसी का फायदा उठाकर अवधेश ने साइकिल का लालच देकर उसे अपने घर बुलाकर मार डाला.
पीड़ित परिवार ने बताया कि उन्हें अवधेश पर शक की बात पुलिस को बार-बार बताई, लेकिन आरोपी से न तो पूछताछ की गई और न ही उसके कमरे की तलाशी ली गई. पुलिस से निराश होने के बाद उन्होंने तीस हजारी कोर्ट में भी शिकायत की.
इसके बाद जब आरोपी काे कोर्ट का नोटिस मिला, तो उसने बच्चे के घर आना-जाना बंद कर दिया, लेकिन पुलिस ने तब भी उससे कोई पूछताछ नहीं की.