पंकज सिंह भदौरिया. एक बार फिर लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का बड़ा असर को देखने को मिला है. धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र की रहने वाली खिलाड़ी सरिता भास्कर के पिता की हत्या मामला अब विधानसभा के मानसून सत्र में गूंजने वाला है. दरअसल नेशनल खिलाड़ी के पिता के मौत मामले को लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसके बाद दंतेवाड़ा से विधायक देवती कर्मा ने सरिता से मुलाकात की है. देवती ने मामले में कहा है कि वे इस खिलाड़ी की पूरी मदद करेंगी साथ ही ही ये मामला विधानसभा के मानसून सत्र में भी उठाया जायगा.
बता दें कि दन्तेवाड़ा जिले के मोलसनार गांव में 27 अप्रैल 2018 को सरिता भास्कर के पिता कुम्मा भास्कर की हत्या अज्ञात हमलावरों ने घर पर आकर कर दी थी. और हत्या के बाद शव के पास भैरमगढ़ एरिया कमेटी के नक्सली पर्चे भी हमलावर छोड़ गये थे. सरिता भास्कर घटना की रात उन हथियार बन्द अज्ञात हमलावरों से घण्टों अपने पिता के लिए लड़ती रही.
खेतों में फावड़ा चलाने लगी
इस घटना के बाद सरिता के सपनों में काले बादल छा गये. और इस अनहोनी ने एक नेशनल लेवल की खिलाड़ी की जिंदगी ही बदल दी. छोटी बहन देवती और माँ की जिम्मेदारी सरिता के कंधों पर आ गयी. इसलिए मैदान से रिश्ता तोड़ खेतों में फावड़ा चलाने की मजबूरी नाजुक कंधे पर आ गयी थी.
वहीं पुलिस की इस अनसुलझी सरिता के पिता की हत्या ने मामले को और पेचीदा बना दिया था. पिता की मौत की चश्मदीद सरिता ने उन हमलावरों के हाथों में हथियार देखा था और मौत की सुबह शव के पास नक्सलियों के पर्चे भी दिखे थे .शासन नक्सल पीड़ित हिंसा परिवार को मुआवजा देता है. मगर पुलिस की इस जांच ने सरिता भास्कर के परिवार को नक्सल हिंसा पीड़ित नाम के महरम से भी दूर कर दिया था.
बड़ा मुकाम हासिल करे बेटी
पिता का सपना था बेटी आगे बढ़े और खेल की दुनिया मे एक बड़ा मुकाम हासिल करें. लेकिन सरिता का यह सपना पिता की मौत के बाद दफन हो गया. दिल्ली, रायपुर और तमाम जगह में अपना जौहर दिखाने वाली सरिता अब खामोश हो गयी है. उनका भी सपना था कि बस्तर का नाम देश नही विदेश में रौशन करे. पर मजबूरियों के आगे सरिता की प्रतिभा ने घुटने टेक दिये थे. ऐसे में ये देखने वाली बात होगी की इस खिलाड़ी के पिता की हत्या का मामला विधानसभा में कैसे गूंजता है और सरिता को कैसे न्याय मिलता है.