रायपुर। विधानसभा में विधायक लखेश्वर बघेल ने बस्तर के महारानी जिला अस्पताल में अव्यवस्था का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि बस्तर में आए दिन नक्सली घटनाएं हो रही हैं, घायल जवानों को यहां लाया जाता है, लेकिन उनके लिए कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है. बघेल ने कहा कि यहां तक कि महारानी अस्पताल में सालों से सिटी स्कैन मशीन खराब है.
इस पर स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि अस्पताल में कोई अव्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि सिटी स्कैन मशीन 4 फरवरी 2015 से खराब हुई थी. 5 सितंबर से बीएसआर अस्पताल से समझौता कर लिया गया था. मशीन की क्षमता पूरी हो चुकी थी. उन्होंने कहा कि उस साल से ही हम मशीन खरीदने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई बिड में शामिल नहीं हो पा रहा है.
विधायक मनोज मंडावी ने कहा कि बस्तर केरल से बड़ा है. एक बड़ी आबादी इस अस्पताल पर निर्भर है. इसके बावजूद यदि व्यवस्था दुरुस्त नहीं होगी, तो कैसे चलेगा. मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि जल्दी ही वहां नई मशीन लगाई जाएगी.
मोहन मरकाम ने कहा कि नए भवन का काम अधूरा है, सरकार को लोकार्पण करने की क्या जरूरत थी. मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि बाकी व्यवस्था की जा रही है.
अस्पताल में डॉक्टर की कमी का मुद्दा भी उठा
वहीं विधायक कवासी लखमा ने कहा कि सरकार एक अस्पताल भी ठीक से नहीं चला पा रही है. डॉक्टर की कमी को कब तक पूरा करेंगे. इस पर मंत्री चंद्राकर ने कहा कि हमने मेडिकल कॉलेज खोला और दुर्भाग्य है कि वे लोग सवाल कर रहे हैं, जिन्होंने अपने समय में कोई काम नहीं किया.
विपक्ष ने मंत्री की भाषा पर कड़ी आपत्ति जताई. भूपेश बघेल ने कहा कि मंत्री विपक्ष को भड़काने का काम कर रहे हैं. सरकार एक मशीन तक समय पर नहीं ठीक करा पा रही है. अगर मशीन खराब हुई, तो उसके मरम्मत पर कितना पैसा खर्च किया गया. मंत्री चंद्राकर ने कहा कि महारानी अस्पताल के लिए सरकार ने बीएसआर हॉस्पिटल से कॉन्ट्रैक्ट किया है. हर सीटी स्कैन के लिए सरकार 1,050 रुपए का भुगतान करती है.
कमीशनखोरी के आरोप पर हंगामा
भूपेश बघेल ने कहा कि कमीशनखोरी और निजी अस्पताल को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार नई मशीन नहीं खरीद रही है. इस पर मंत्री अजय चंद्राकर ने तैश में आकर कहा कि कमीशनखोरी का आरोप साबित करें. वहीं इस बात पर विपक्ष ने जमकर हंगामा और सदन में नारेबाजी की. इस पर सत्तापक्ष ने भी नारेबाज़ी की. हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी.