सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति संदर्भ पर 10 दिन तक दलीलें सुनने के बाद बृहस्पतिवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। राष्ट्रपति संदर्भ में पूछा गया था कि क्या एक संवैधानिक अदालत राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा निर्धारित कर सकती है।
इस संदर्भ पर 19 अगस्त को सुनवाई शुरू करने वाले प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रमनाथ, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया। देश के सर्वोच्च विधि अधिकारी, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी की दलीलें पूरी होने के बाद मामले को पीठ द्वारा फैसले के लिए सुरक्षित रख लिया गया।
SC ने कहा – सिर्फ संवैधानिक प्रश्नों का जवाब देंगे
सुनवाई के दौरान पीठ ने कई बार स्पष्ट किया कि वह तमिलनाडु राज्यपाल के फैसले पर अपील नहीं करेगा और केवल संवैधानिक प्रश्नों का जवाब देगी. तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों ने इस संदर्भ की स्वीकार्यता पर इस आधार पर आपत्ति जताई कि तमिलनाडु राज्यपाल के फैसले में पहले ही सवालों के उत्तर दिए जा चुके हैं. सुनवाई के दौरान अदालत ने सवाल किया कि क्या राज्यपाल अनिश्चित काल तक विधेयकों को रोक सकते हैं ?
अदालत ने मामले में हैरानी भी जताई
अदालत ने टिप्पणी की कि यदि राज्यपाल विधेयकों को विधानसभा को वापस किए बिना रोक सकते हैं तो यह निर्वाचित सरकार को राज्यपाल की इच्छा पर छोड़ देगा. अदालत ने यह भी हैरानी जताई कि क्या राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए एक समान समय सीमा को केवल विलम्ब के कुछ छिटपुट उदाहरणों के आधार पर उचित ठहराया जा सकता है.
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