रायपुर. जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन का महत्व है. अनुशासन से धैर्य और समझदारी का विकास होता है. समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है. इससे कार्य क्षमता का विकास होता है और व्यक्ति में नेतृत्व की शक्ति जागृत होने लगती है. अनुशासन और अभ्यास से ही आत्मविश्वास पैदा होता है. अनुशासन हमारे चरित्र और व्यक्तित्व के निर्माण में सबसे अहम भूमिका निभाता है. अनुशासन ही सफलता की चाबी है.

नियमानुसार जीवन के प्रत्येक कार्य करना जीवन को अनुशासन में रखना है. अनुशासन से दैनिक जीवन में व्यवस्था आती है. अनुशासन को किसी व्यक्ति में ज्योतिषीय गणना द्वारा देखा जा सकता है. इसके लिए अपनी कुंडली के लग्न, तीसरे एवं भाग्यस्थान के ग्रहों का विश्लेषण करालें लेकिन सबसे जरूरी दैनिक जीवन में अनुशासित होना है, इसके लिए एकादश स्थान के स्वामी ग्रह की अनुकूलता और एकादश स्थान पर उपस्थित ग्रह की प्रबलता साथ ही समय अर्थात् अपनी कुंडली में चल रही ग्रह दशाओं का आकलन कराकर पता लगा लें कि आपके लिए इस समय किस प्रकार की दशा का गोचर है.

अनुशासन को बनाए रखने के लिए एकादश स्थान के ग्रह की शांति करना, मंत्रजाप करना तथा दान करना चाहिए. कालपुरूष की कुंडली में एकादश स्थान का स्वामी शनि होता है. अतः अनुशासन को शनि से देखा जाता है अतः किसी भी व्यक्ति को जीवन में अनुशासन का पालन करने के लिए शनि का व्रत करना, शनि के मंत्र का जाप करना अथवा बटुक भैरव के मंत्र का जाप करना, काले तिल अथवा तिल के लड्डू का दान करना एवं सूक्ष्म जीवों की सेवा करनी अथवा गरीब मरीजों को दवा का दान करना चाहिए.