नई दिल्ली। दिल्ली के मुंडका स्थित जिस इमारत में आग लगने से 27 लोगों की मौत हुई, वहां औद्योगिक गतिविधियां नहीं की जा सकती थीं. इस फैक्ट्री का लाइसेंस रद्द किया जा चुका था. हैरानी की बात यह है कि लाइसेंस रद्द होने के बाद भी इस इमारत में औद्योगिक गतिविधियां जारी रहीं. आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली के मुंडका में लगी भीषण आग और उसमें 27 लोगों की मौत के लिए भाजपा शासित एमसीडी को जिम्मेदार ठहराया है. आप के मुताबिक, 2016 में एमसीडी ने सभी नियमों को ताक पर रखते हुए फैक्ट्री को लाइसेंस जारी किया. कुछ महीनों बाद लोगों द्वारा शिकायत मिलने पर भाजपा एमसीडी को लाइसेंस रद्द करना पड़ा, लेकिन चोरी-छिपे अंदर सभी काम चलते रहे.
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लाइसेंस रद्द होने के बाद भी चल रही थीं औद्योगिक गतिविधियां
आम आदमी पार्टी के दुर्गेश पाठक ने कहा कि मुंडका में लगी भीषण आग में लालडोरा एक्सटेंशन स्थित इस इमारत में इंडस्ट्रियल गतिविधियां नहीं की जा सकती थीं. 2016 में इस फैक्ट्री ने लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था. एमसीडी ने सभी नियमों को ताक पर रखते हुए फैक्ट्री लाइसेंस जारी कर दिया, लेकिन 7-8 महीनों बाद जब लोगों ने शिकायत करना शुरू किया, तो 2017 में एमसीडी ने इस फैक्ट्री के लाइसेंस को रद्द कर दिया. लाइसेंस रद्द होने के बाद भी इंडस्ट्रियल गतिविधियां जारी रहीं. 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई मॉनिटरिंग कमेटी ने इमारत को सील कर दिया. एमसीडी के कागजों पर आज भी यह इमारत सील है, लेकिन चोरी-छिपे एक छोटा रास्ता बनाकर फैक्ट्री में औद्योगिक गतिविधियां की जा रही थीं. दुर्गेश पाठक का कहना है कि एमसीडी को इन गतिविधियों के बारे में पूरी जानकारी थी, बावजूद इसके उन्होंने यह सब होने दिया.
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बिल्डिंग का मालिक है मनीष लाकड़ा
बता दें कि मनीष लाकड़ा इस इमारत का मालिक है. आप नेता दुर्गेश पाठक ने कहा कि ऐसी कौन सी ताकत लकड़ा में है कि सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा इमारत सील करने के बाद भी सभी गतिविधियां जारी रहीं. दुर्गेश पाठक ने कहा कि 2015 में जब दिल्ली विधानसभा का चुनाव हो रहा था, तो भाजपा का चुनावी कैंपेन भी इसी इमारत से चल रहा था. इसका मतलब यह है कि यह इमारत भाजपा के लोगों की है. इस इमारत में आज तक जो भी काम हो रहे थे, वह भाजपा के नेताओं की मदद से ही हो रहे थे. आम आदमी पार्टी का कहना है कि मुंडका की इस इमारत में यह जो 27 लोग मरे हैं, उनकी मौत के लिए सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी जिम्मेदार है. भाजपा साकेत नगर निगम का भ्रष्टाचार जिम्मेदार है. इस पूरी घटना की जांच और इमारत से जुड़े सभी दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
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इमारत के मालिक समेत 3 लोग गिरफ्तार
मुंडका अग्निकांड मामले में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने रविवार को कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान इमारत के मालिक मनीष लाकड़ा और कोफे इम्पैक्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक फर्म के मालिक हरीश गोयल और वरुण गोयल के रूप में हुई है. अब तक 27 शवों में से केवल 8 की ही पहचान हो पाई है. मृतकों की पहचान तानिया भूषण, मोहिनी पाल, यशोदा देवी, रंजू देवी, विशाल, दृष्टि, कैलाश ज्ञानी और अमित ज्ञानी के रूप में हुई है. अधिकारियों ने कहा कि ज्यादातर शव इस हद तक जल गए थे कि यह भी पता लगाना मुश्किल था कि जले हुए शरीर पुरुष के हैं या महिला के. हालांकि, घटना के दो दिन बाद चिकित्सकों ने पाया है कि 27 मृतकों में से 14 महिलाएं और 3 पुरुष थे. अज्ञात शवों को मंगोलपुरी स्थित संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के मॉर्चुरी में रखवाया गया है.
शवों के डीएनए किए गए हैं एकत्र, मिलान पूरा होने के बाद हो सकेगी शिनाख्त
पुलिस उपायुक्त समीर शर्मा ने कहा कि हमने बाकी शवों के डीएनए नमूने एकत्र किए हैं. जैसे ही डीएनए मिलान पूरा हो जाएगा, हमें उनकी पहचान का पता चल जाएगा. इसमें 4-5 दिन और लग सकते हैं. डीसीपी ने कहा कि उस दिन कंपनी द्वारा एक सेल्स मोटिवेशनल कार्यक्रम आयोजित किया गया था और लगभग 4 बजे सभी कर्मचारी दूसरी मंजिल पर थे. अचानक आग लगने के कारण कई लोग फंस गए और बाहर नहीं निकल सके, क्योंकि वहां इमारत के अंदर बहुत अधिक धुआं हो गया था और इमारत के पीछे की ओर केवल एक निकास बिंदु है. बचाव अभियान के दौरान पुलिस, दमकल विभाग और स्थानीय लोगों ने संयुक्त रूप से 50-60 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला था. बाद में पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या के लिए सजा), 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 120 (कैद के साथ दंडनीय अपराध करने के लिए डिजाइन छुपाना) और 34 (कई लोगों द्वारा समान इरादे से कोई आपराधिक कृत्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की.
जब इमारत में आग लगी, मनीष लाकड़ा टॉप फ्लोर पर था
घटना के एक दिन बाद हरीश गोयल और वरुण गोयल दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन इमारत का मालिक मनीष लाकड़ा फरार था. इसके बाद एक पुलिस दल का गठन किया गया, जिसने उसके स्थानों पर नजर रखी और लाकड़ा को हरियाणा-दिल्ली सीमा के पास पश्चिमी दिल्ली के घेवरा मोड़ से गिरफ्तार किया गया. प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि घटना के समय लाकड़ा अपने घर की सबसे ऊपरी मंजिल पर मौजूद था. डीसीपी समीर शर्मा ने कहा कि जब उसे लगा कि धुआं आ रहा है, तो वह तुरंत वो सबकुछ छोड़कर इमारत से बाहर निकल गया. वह वहां अपनी पत्नी, मां और दो बच्चों के साथ 2-बीएचके फ्लैट में रह रहा था. मनीष लाकड़ा ने अपना मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ कर तोड़ दिया था, ताकि उसे ट्रेस ना किया जा सके. डीसीपी ने कहा कि हालांकि हमने लगातार उसके दोस्तों और परिवार के सदस्यों पर दबाव डाला, जिससे आखिरकार उसकी लोकेशन का खुलासा हो गया.
हरिद्वार भागने की फिराक में था मनीष लाकड़ा
मनीष लाकड़ा ने खुलासा किया कि वह हरियाणा के एक मंदिर में रुका था और अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए रात में वहीं सोया था. पुलिस अधिकारी ने कहा कि जब हमने उसे गिरफ्तार किया, तो वह हरिद्वार भागने की कोशिश कर रहा था. फरार रहने के दौरान उसने अपने एक दोस्त से पैसे भी लिए थे. उसकी पत्नी और मां अभी भी लापता हैं. डीसीपी ने कहा कि पुलिस मनीष लाकड़ा से पूछताछ कर रही है.
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